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देवा भाऊ के फैसले पर दादा ने लगाई रोक, नहीं लगेंगे पब-बार में एआई आधारित सीसीटीवी कैमरे

सूचना की जारी
सामना संवाददाता/ मुंबई
मुख्यमंत्री व गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में घोषणा की थी कि मुंबई सहित बड़े शहरों में नाबालिगों द्वारा शराब पीने पर अंकुश लगाने के लिए पब, बारों और शराब की दुकानों में ‘एआई’ प्रणाली पर आधारित सीसीटीवी वैâमरे लगाए जाएंगे, लेकिन शराब विक्रेताओं ने इस योजना का विरोध किया। उनके विरोध के आगे नतमस्तक होते हुए उपमुख्यमंत्री व राज्य के आबकारी मंत्री अजीत पवार ने देवा भाऊ के इस फैसले पर रोक लगाने के निर्देश जारी किए हैं। इसे लेकर सूचना भी जारी कर दिया गया है।
पुणे में पोर्शे कार दुर्घटना के बाद नाबालिगों में शराब पीने का मुद्दा पूरे महाराष्ट्र में गूंजा था। विधानसभा में विपक्ष ने इस मुद्दे पर महायुति सरकार को आड़े हाथों लिया था। इसलिए तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पिछले साल जून में विधानमंडल में घोषणा की थी कि बार, पबों और वाइन शॉपों पर शराब खरीदनेवाले नाबालिगों पर नजर रखने के लिए एआई सिस्टम आधारित सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य किया जाएगा। इसके बाद राज्य सरकार ने मुंबई और उपनगरों में शराब की दुकानों में एआई सिस्टम पर आधारित सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश जारी किया। शुरुआत में मुंबई और उसके उपनगरों में शराब की दुकानों में पायलट आधार पर एआई सिस्टम पर आधारित सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना बनाई गई थी, लेकिन शराब विक्रेताओं के विरोध के कारण राज्य आबकारी विभाग ने इस निर्णय पर अमल शुरू नहीं किया। बार और पब मालिकों के साथ ही शराब विक्रेताओं ने इसका कारण यह बताया कि यह योजना महंगी है।
कैमरों को कौन करेगा नियंत्रित
विधानसभा चुनाव के बाद देवेंद्र फडणवीस राज्य के मुख्यमंत्री बने। आबकारी विभाग, जो पहले शंभुराज देसाई के पास था, उसे उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को सौंप दिया गया। दो दिन पहले जब अजीत पवार ने इस विभाग की समीक्षा की थी, तो विभाग के अधिकारियों ने सवाल उठाया था कि वैâमरों को कौन नियंत्रित करेगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यह निर्णय तर्कसंगत नहीं है। इसके बाद अजीत पवार ने इस पैâसले को रोकने का आदेश दिया है। इस संबंध में आबकारी विभाग के अधिकारियों ने निजी तौर पर स्वीकार किया कि इस संबंध में निर्णय लिया गया है, लेकिन इस विषय पर आगे कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया, क्योंकि विभाग को इस संबंध में कोई आधिकारिक लिखित निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है।

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