ऑपरेशन के अलावा कोई विकल्प नहीं – डॉक्टर
सामना संवाददाता / मुंबई
कर्कश आवाज में करीब चार घंटे तक झूमने की कीमत एक व्यक्ति को बहरा होकर चुकानी पड़ी है। हालांकि, इसकी जानकारी उसे तब पता चली जब वह घर पहुंचा और पत्नी के जोर से आवाज देने के बाद भी उसे सुनाई नहीं दे रहा था। इससे भयभीत व्यक्ति जब डॉक्टरों के पास पहुंचा तो उन्होंने कहा कि उसके दोनों कान खराब हो चुके हैं। उसे अब सर्जरी कराने का विकल्प दिया गया है।
महाराष्ट्र में गणेश विसर्जन की हर जगह धूम थी और लोग डीजे की धुन पर नाच-गाकर भगवान गणेश को विदा कर रहे थे। भगवान गणेश को विदा करने के लिए पुणे में रहने वाला ३२ साल का सागर भी निकला था। उसके हर तरफ गणेश विजर्सन की धूम थी। हर जगह डीजे की तेज आवाज, जहां भी वह गया वहां उसके कानों में गानों की तेज आवाजें जाती रहीं। वह चार घंटे तक लाउड म्यूजिक के बीच में रहा। इसके अलावा जब विसर्जन शोभायात्रा कटराज चौक पर पहुंची, तो चार गणेश मंडल इक्ट्ठा हुए थे। उस वक्त चारों मंडलों के डीजे की आवाज मिल गई। युवक को डीजे के म्यूजिक के बीच तो कुछ भी पता नहीं चला। पर जब वो घर पहुंचा तो उसके साथ जो हो रहा था उसे यकीन ही नहीं हुआ।
लाउड साउंड के बीच रहने से कानों पर पड़ा असर
डॉक्टर ने बताया कि वह लाउड साउंड के बीच रहा, जिससे उसके कानों पर यह असर हुआ है। तरुण का अस्पताल में कुछ दिन इलाज चला और फिर उसे छुट्टी दे दी गई। सागर की दो बेटियां हैं। वह छोटे-मोटे निर्माण ठेके लेकर अपना घर चलाते हैं, लेकिन अब दोनों कान खराब हो गए हैं। ऐसे में सागर को भविष्य की चिंता है।
एक कान ४० फीसदी हुआ ठीक
इस बीच समय पर इलाज के बाद बाएं कान में ४० फीसदी सुधार हुआ है। डॉक्टरों का कहना है कि दाहिने कान के ठीक होने की संभावना बहुत कम है। डॉक्टरों ने उन्हें सर्जरी कराने की सलाह दी है। इलाज के बाद भी बायां कान ४१ फीसदी प्रभावित रहा, जबकि दायां कान ८६ फीसदी प्रभावित हुआ। सागर के सामने अब ऑपरेशन के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इसकी कोई गारंटी नहीं है कि इससे भी कोई फर्क पड़ेगा।
…तो हल्का सुनाई दिया
तरुण को जब उसके घरवालों ने कुछ कहा तो उसे कुछ सुनाई ही नहीं दिया। उन्होंने सागर के कान के पास आकर जोर-जोर से कहा तब उसे कुछ-कुछ सुनाई दिया। इसके बाद सागर डॉक्टर के पास गया, वहां उसने अपना पूरा दर्द डॉक्टर को बताया। सागर के दोनों कान खराब हो गए हैं। डॉक्टर ने बताया कि उसके एक कान की ९५ फीसदी और दूसरे कान की ८५ फीसदी सुनने के क्षमता चली गई है।