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पीएफआई का खतरनाक मंसूबा  … स्लामिक आंदोलन से कराना चाहता था हिंदुस्थान में गृहयुद्ध! …ईडी की छापेमारी के बाद हुआ खुलासा

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
एक दिन पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पीएफआई से जुड़ी करीब ३५ करोड़ की संपत्तियों पर छापा मारकर जब्त किया था, जिसके बाद अब सनसनीखेज खुलासा हुआ है। ईडी ने बताया कि प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन ‘पॉपुलर प्रâंट ऑफ इंडिया’ (पीएफआई) हिंदुस्थान में जिहाद के जरिए इस्लामी आंदोलन खड़ा करने की कोशिश कर रहा है, जिसमें क्रूरता और दमन के विभिन्न तरीकों के अलावा हवाई हमले और गुरिल्ला हमले भी शामिल हैं। ईडी, राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) और विभिन्न राज्य पुलिस बलों द्वारा इसके पदाधिकारियों और प्रतिष्ठानों के खिलाफ देशव्यापी छापेमारी के बाद सितंबर, २०२२ में केंद्र ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। ईडी ने आरोप लगाया कि साल २००६ में केरल में गठित लेकिन दिल्ली में मुख्यालय वाले पीएफआई के वास्तविक उद्देश्य इसके संविधान में बताए गए उद्देश्यों से अलग हैं। एजेंसी ने आरोप लगाया कि पीएफआई का वास्तविक उद्देश्य जिहाद के माध्यम से भारत में इस्लामी आंदोलन चलाने के लिए एक संगठन का गठन करना है, हालांकि पीएफआई खुद को एक सामाजिक आंदोलन के रूप में पेश करता है। यही नहीं एजेंसी ने संगठन द्वारा समाज में अशांति और संघर्ष पैदा करके ‘गृहयुद्ध’ की तैयारी के लिए इस्तेमाल किए गए विरोध के कुछ तरीकों का वर्णन किया है। एजेंसी ने कहा कि पीएफआई ने देश की एकता और संप्रभुता को कमजोर करने के लिए कानूनों का उल्लंघन किया, दोहरी संप्रभुता का प्रस्ताव रखा, समानांतर सरकारें बनार्इं और गुप्त एजेंटों की पहचान का खुलासा किया।
ईडी के अनुसार, यह संगठन अपने सदस्यों को लात, घूंसे तथा चाकू, लाठी, दरांती और तलवार जैसे हथियारों का प्रयोग कर हमले करने के लिए गहन हिंसक प्रशिक्षण दे रहा था। पीएफआई पर फरवरी, २०२० के दिल्ली दंगों के दौरान हिंसा भड़काने और उपद्रव पैâलाने में सक्रिय रूप से शामिल होने का भी आरोप लगाया गया है। यह भी आरोप लगाया गया है कि पीएफआई और सीएफआई (वैंâपस प्रâंट ऑफ इंडिया, पीएफआई की छात्र शाखा) के सदस्यों ने सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने, सांप्रदायिक दंगे भड़काने और आतंक पैâलाने के इरादे से कुछ साल पहले उत्तर प्रदेश के हाथरस का दौरा किया था।

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