सामना संवाददाता / मुंबई
कहतें हैं कि तलवार से ज्यादा ताकतवर कलम होती है। कल इसका प्रत्यक्ष नजारा बीकेसी स्थित सोफिटेल होटल में आयोजित एक कार्यक्रम में देखने को मिला। बड़े-बड़े हथियारों की डील करनेवाले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की सुरक्षा को पत्रकारों की कलम से खतरा महसूस हुआ। ऐसे में कार्यक्रम को कवर करने पहुंचे पत्रकारों की कलम वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों ने अपने पास रखवा लिए। इसके बाद प्रिंट मीडिया के पत्रकार इस बात को लेकर असमंजस में थे कि बिना पेन के वह कार्यक्रम वैâसे कवर करेंगे।
कल मुंबई में चुनाव प्रचार के तहत एक कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह महायुति में शामिल शिंदे गुट का चुनाव चिह्न ही भूल गए। कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अपने संबोधन में शिंदे गुट का चुनाव चिह्न भूल गए तो फिर किसी ने पीछे से चुनाव चिह्न याद दिलाया तब उन्होंने इसका उल्लेख किया। इसी तरह अजीत पवार गुट भी महायुति में शामिल है। मगर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अपने इस सहयोगी के नाम का उल्लेख करना ही भूल गए।
मजे की बात है कि रक्षा मंत्री ने महायुति में शामिल अजीत पवार का नाम तक नहीं लिया। इस बारे में वहां मौजूद एक राजनीतिक सूत्र ने बताया कि अजीत पवार भले ही भाजपा के साथ हैं, पर भाजपा उनके साथ सौतेला व्यवहार कर रही है क्योंकि एक समय पीएम मोदी ने अजीत पवार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। ऐसे में अब अजीत पवार के पक्ष में वोट की अपील करना भाजपा नेताओं के गले की हड्डी बन गया है इसलिए राजनाथ सिंह ने उनका नाम नहीं लिया। बता दें कि विधानसभा चुनाव को लेकर इन दिनों मुंबई में दिल्ली के कई बड़े नेताओं का आना-जाना लगा हुआ है। इनमें पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नाम भी शामिल हैं। मगर इन नेताओं की सुरक्षा के लिए पहली बार कलम को खतरा माना गया इसलिए रक्षा मंत्री के कार्यक्रम को कवर करने गए पत्रकारों से सुरक्षा के नाम पर उनके पेन बाहर काउंटर पर ही पुलिस ने रखवा लिए। हालांकि, कार्यक्रम के बाद जब पत्रकार वापस लौटे तो काउंटर से उनके कलम वापस कर दिए गए।