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भारतीय नाविकों की बढ़ रही है डिमांड

सामना संवाददाता / मुंबई

अनुमान है कि अगले 10 वर्षों में वैश्विक शिपिंग उद्योग में भारतीय नाविकों की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से बढ़कर 20 प्रतिशत हो सकती है। साल 2013 में लगभग 1,08,000 भारतीय नाविक थे, जबकि 2024 में इनकी संख्या बढ़कर लगभग 2,50,000 हो गई है। यह संख्या और बढ़ेगी। यह बातें एंग्लो-ईस्टर्न शिपिंग कंपनी के सीईओ, कैप्टन ब्योर्न होयगार्ड ने कहीं। वे कंपनी के 50वीं वर्षगांठ पर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि हमारे नए कैडेट प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत भारत में स्थित हमारी मैरीटाइम ट्रेनिंग फैसिलिटी में 2,000 से अधिक भारतीय युवाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। मर्चेंट नेवी ऑफिसर, जो विशेष प्रकार के मालवाहक जहाजों पर काम करते हैं, दुनिया भर में बड़ी मांग में हैं। भारत में स्थित एंग्लो-ईस्टर्न के मैरीटाइम ट्रेनिंग कॉलेज का प्लेसमेंट रिकॉर्ड 100 प्रतिशत है। यहां से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले कैडेट्स को सफलतापूर्वक अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद एंग्लो-ईस्टर्न ग्रुप के वैश्विक संचालन में नौकरी मिलती है।
उल्लेखनीय है कि भारतीय नाविकों के सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक हांगकांग स्थित एंग्लो-ईस्टर्न शिपिंग कंपनी अपनी 50वीं वर्षगांठ मना रही है। इस मौके पर कंपनी ने दुनिया के सबसे बड़े नए कैडेट प्रशिक्षण कार्यक्रमों में से एक की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर भारतीय नाविकों की हिस्सेदारी बढ़ाना है। पिछले चालीस सालों से एंग्लो-ईस्टर्न शिपिंग कंपनी के भारत स्थित संचालन केंद्र ने उन भारतीय छात्रों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जो मर्चेंट नेवी में करियर बनाना चाहते हैं। पंजाब के युवाओं के बीच यह पेशा रोमांचक और लाभदायक करियर विकल्प के रूप में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।

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