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ध्वस्त करें अवैध इमारत! … हाई कोर्ट का कलेक्टर को आदेश

सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई हाई कोर्ट ने नालासोपारा-पूर्व में बनी एक पांच मंजिला अवैध इमारत को लेकर कड़ा रुख अपनाते हुए पालघर जिला कलेक्टर को निर्देश दिया है कि वह संबंधित पक्षों की सुनवाई कर इस इमारत की वैधता की जांच करें और यदि अवैध पाई जाए तो इसे ध्वस्त कर दें। रिपोर्ट के अनुसार, यह आदेश सामाजिक कार्यकर्ता कमलाकर फाटकरे द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) के जवाब में आया है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि उन्होंने कई बार शिकायत की, लेकिन संबंधित अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की।
फाटकरे ने २१ सितंबर २०२४ को सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत आवेदन किया था, जिसमें उन्होंने एंथनी हाई स्कूल के सामने बनी इस इमारत की जानकारी मांगी। २२ अक्टूबर २०२४ को वसई-विरार सिटी म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन वीवीसीएमसी ने जवाब दिया कि इस जमीन पर किसी भी तरह के निर्माण की अनुमति नहीं दी गई है। इसके बाद २५ नवंबर २०२४ को फाटकरे ने असिस्टेंट कमिश्नर और वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक को पत्र लिखकर इस अवैध निर्माण की जानकारी दी और तुरंत कार्रवाई की मांग की।
इमारत में संपत्ति का लेन-देन
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि दो बिल्डरों ने इस अवैध इमारत के फ्लैट्स को बिना पंजीकृत अनुबंधों के जरिए लोगों को बेच दिया। फाटकरे ने कोर्ट से अपील की कि वह अवैध इमारत में संपत्ति के लेन-देन पर रोक लगाए। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराध्ये और न्यायमूर्ति एम. एस. कर्णिक की खंडपीठ ने बुधवार को याचिका का निपटारा करते हुए जिला कलेक्टर को निर्देश दिया कि सभी पक्षों को सुनकर उचित निर्णय लें और यदि अवैधता सिद्ध होती है तो इमारत को गिरा दिया जाए।

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