-राज्य महिला आयोग ने दिया संकेत
सामना संवाददाता / मुंबई
पुणे के दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल द्वारा पैसों के अभाव में उपचार से इनकार करने के चलते गर्भवती की मृत्यु होने का दावा किया गया है। इस मामले में राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जांच के लिए नियुक्त समिति ने गर्भवती के घर जाकर रविवार को उसके रिश्तेदारों के बयान दर्ज किए। इस बीच इस मामले में समिति ने प्रारंभिक रिपोर्ट स्वास्थ्य निदेशक को भेजी है। अंतिम रिपोर्ट के बारे में कल राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रूपाली चाकणकर ने विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि रक्तस्राव के बावजूद महिला के उपचार में साढ़े पांच घंटे की देरी हुई है। उन्होंने कहा है कि रिपोर्ट के अनुसार, गर्भवती महिला की मृत्यु के लिए अस्पताल जिम्मेदार है। इसी के साथ ही राज्य महिला आयोग ने अस्पताल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के संकेत दिए हैं।
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रूपाली चाकणकर ने कल चिकित्सक और पुलिस अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। उन्होंने कहा कि बैठक लेने से पहले मैंने भिसे परिवार के घर जाकर मुलाकात की। कोई भी व्यक्ति या मरीज डॉक्टरों के साथ कई बातें साझा करता है, ताकि डॉक्टरों से बेहतर उपचार मिल सके। १५ मार्च को पहली बार मरीज डॉ. घैसास से मिली थी। मरीज का पूरा मेडिकल इतिहास केवल डॉक्टरों को पता था। लेकिन यह घटना होने के बाद अस्पताल ने जांच के लिए जो आंतरिक समिति नियुक्त की थी, उस समिति की रिपोर्ट में खुद को बचाने के लिए सार्वजनिक रूप से मरीज की गोपनीय जानकारी सोशल मीडिया पर प्रस्तुत कर दी गई। यह जानकारी गोपनीय रखने का नियम है। इस मामले में हम अस्पताल की निंदा करते हैं।
मरीज के सामने
हुआ सब कुछ
चाकणकर ने कहा कि अस्पताल में महिला रात ९ बजे पहुंची। मरीज को दो अप्रैल को बुलाया गया था, लेकिन २८ मार्च को गर्भवती महिला को रक्तस्राव शुरू होने पर डॉक्टरों से संपर्क किया गया तो उसे अस्पताल आने को कहा गया। संबंधित स्टाफ को डिलिवरी की तैयारी करने को कहा गया। स्टाफ ने ऑपरेशन की भी तैयारी की। मरीज को ऑपरेशन थिएटर में ले जाने से पहले उनसे १० लाख रुपए की मांग की गई। यह सब मरीज के सामने ही हुआ। उसके परिजन तीन लाख रुपए देने को तैयार थे और बाकी पैसों का इंतजाम अगले दिन तक करने का वादा किया। फिर मंत्रालय और विभाग से फोन आए, लेकिन इसकी कोई सुनवाई नहीं हुई। इस कारण रात ढाई बजे मरीज ने अस्पताल छोड़ दिया। बड़े पैमाने पर रक्तस्राव होते हुए भी मरीज का कोई उपचार नहीं हुआ। उलटे अस्पताल ने कहा कि अगर आपके पास कोई दवा है तो उससे अपने तरीके से इलाज करें। चाकणकर ने कहा कि रात ढाई बजे ससून अस्पताल में रिश्तेदारों ने मरीज को ले जाने का पैâसला किया। इस दौरान मरीज का मनोबल टूट चुका था। वहां से वह सूर्या अस्पताल गई, जहां अच्छी प्रतिक्रिया मिली।