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विकास के नाम पर विरासत का विनाश! …रेडियो क्लब के पास जेट्टी बनेगी

– एमएमबी के नए प्रस्ताव से बढ़ी चिंता
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई के रेडियो क्लब के पास प्रस्तावित पैसेंजर जेट्टी और टर्मिनल को लेकर प्रशासन जितना उत्साहित है, उतनी ही आशंकाएं शहरवासियों में दिखाई दे रही हैं। महाराष्ट्र मेरीटाइम बोर्ड (एमएमबी) द्वारा तैयार किया गया यह प्रस्ताव पर्यटकों की भीड़ कम करने और विरासत स्थलों को `संरक्षित’ रखने की बात करता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या छह एकड़ समुद्र में पैâलने वाला यह कंक्रीट का अजूबा वास्तव में समाधान है या फिर एक और `विकास’ के नाम पर विरासत का विनाश करने वाला है।
प्रस्ताव में दावा किया गया है कि इस टर्मिनल से गेटवे ऑफ इंडिया पर आने वाले ३५ लाख पर्यटकों की भीड़ को नियंत्रित किया जाएगा। १० `फिंगर’ जेट्टियों के साथ २० नावों के ठहराव की व्यवस्था और अत्याधुनिक सुविधाएं देने की बात कही जा रही है। इस पर निवासियों का कहना है कि इस परियोजना से न सिर्फ समुद्री पारिस्थितिकी को नुकसान होगा, बल्कि गेटवे के ऐतिहासिक सौंदर्य पर भी आंच आएगी।
नियमों को रखा ताक पर
प्रशासन का यह भी दावा है कि समुद्र में कोई स्थायी निर्माण नहीं होगा और विरासत स्थल अप्रभावित रहेंगे, लेकिन एंफीथिएटर जैसी अस्थाई संरचनाओं के लिए अब तक जरूरी मंजूरी (एमसीजेडएमए) की एनओसी नहीं ली गई है। क्या यह दर्शाता है कि नियमों को ताक पर रखकर परियोजना को आगे बढ़ाया जा रहा है?
जनता आंख मूंदकर नहीं करेगी भरोसा
विडंबना यह है कि एक ओर स्मार्ट सिटी’ की बातें होती हैं, दूसरी ओर नागरिकों की चिंताओं को नजरअंदाज किया जाता है। अब यह मामला हाई कोर्ट तक पहुंचने वाला है, जिससे साफ है कि जनता अब केवल विकास के नाम पर आंख मूंदकर भरोसा करने को तैयार नहीं।

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