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दादा के मंत्रियों को देवेंद्र ने दिया दम! …सीएम ने रोकी बाबा पाटील और हसन मुश्रीफ की फाइलें

रामदिनेश यादव / मुंबई
राज्य में भले ही महायुति में शामिल तीन दलों की सरकार है, लेकिन दबदबा सिर्फ भाजपा के देवेंद्र फडणवीस का है। सीएम देवेंद्र फडणवीस के फैसले के आगे उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजीत पवार की एक नहीं चल पा रही है। एक तरह से शिंदे गुट और अजीत पवार गुट के मंत्रियों को दबाने का काम भी फडणवीस द्वारा शुरू हो गया है। हाल ही में पिछली कैबिनेट बैठक के बाद फडणवीस ने दादा गुट के दो मंत्रियों को दम देते हुए उनकी दो फाइलों पर रोक लगा दी है। दादा गुट के ये मंत्री बाबा पाटील व हसन मुशरिफ हैं।

अजीत दादा को लगा सदमा, हुए दुखी!
-मंत्रियों की हालत हो गई है दयनीय
-मुख्यमंत्री का नहीं कर सकते विरोध

सीएम देवेंद्र फडणवीस ने अपने मंत्रियों पर नकेल कस दी है। इसका ताजा शिकार दादा गुट के दो मंत्री हुए हैं। फडणवीस ने उनकी फाइलें रोक दी हैं। सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, फडणवीस ने उन मंत्रियों को बिना पूछे निर्णय नहीं लेने पर दम दिया है। हालांकि, इस घटना को लेकर खुद अजीत पवार को भी सदमा लगा है और वे काफी दुखी नजर आए।
अपनी पार्टी की बैठक में उन्होंने इस बात पर नाराजगी भी दर्शाई है, लेकिन इस मामले में शायद फडणवीस के आगे उनकी बोलने की हिम्मत नहीं हो रही है। देवेंद्र फडणवीस ने अजीत पवार गुट के दो मंत्रियों के फैसले को रद्द कर यह जाता दिया है कि वही होगा, जो वो चाहेंगे। इस सरकार में शिंदे सरकार की तरह मनमानी नहीं चलेगी।
मंत्रियों को मिली चेतावनी
दरअसल मामला है अजीत पवार गुट से सहकरिता मंत्री बाबासाहेब पाटील और मेडिकल शिक्षा मंत्री हसन मुशिरफ के विभाग का। इन दोनों के विभाग में कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इन मंत्रियों द्वारा लिए गए निर्णय की खबर तुरंत मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को मिली। इसके बाद उन्होंने उनके विभाग को उन फाइलों को रोकने का आदेश दिया और उनके निर्णय को तत्काल स्थगित कर दिया। साथ ही उन मंत्रियों को चेतावनी भी दी है। फडणवीस ने दादा के मंत्रियों को दम दिया, लेकिन दादा को फडणवीस का यह अंदाज रास नहीं आया है।

एक बार पूछना चाहिए था
खुद अजीत पवार ने इस घटना पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे निर्णय लेने से पहले फडणवीस को उनके मंत्रियों से ही सही एक बार पूछना चाहिए था। पार्टी की बैठक में उन्होंने फडणवीस के इस रवैये को गलत बताया और इशारों-इशारों में कहा कि फडणवीस को हमारे मंत्रियों के प्रति यदि कोई फैसला लेना है तो कम से कम एक बार हमसे जरूर पूछना चाहिए था।

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