-करोड़ों की हेरा-फेरी में फंस सकते हैं भाजपाई मुख्यमंत्री
-पहाड़ों पर राजनैतिक माहौल गरमाया
सामना संवाददाता / देहरादून
उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (वैâग) की ३१ मार्च २०२२ को समाप्त वित्त वर्ष की रिपोर्ट में यह सामने आया कि बोर्ड द्वारा खरीदी गई टूलकिट, साइकिल और राशन किट अपात्र लोगों को बांट दी गर्इं या गायब हो गर्इं।
बोर्ड ने २०१८ से २०२२ के बीच ३२.७८ करोड़ रुपए की ८३,५६० साइकिलें एक आईटी कंपनी से खरीदीं, जबकि यह कंपनी केवल आईटी सेवाओं के लिए सूचीबद्ध थी। देहरादून जिले में ३७,६६५ साइकिलें वितरित करने के लिए भेजी गई थीं, लेकिन केवल ६,०२० ही प्राप्त हुर्इं और वितरित की गर्इं। बाकी साइकिलों का कोई अता-पता नहीं है। वैâग रिपोर्ट में मुख्यमंत्री पुष्र्कर सिंह धामी की गर्दन भी फंसी हुई बताई जाती है। बताया जाता है कि इसीलिए सीएम धामी घोटाले पर जवाब नहीं दे पा रहे हैं। इस मुद्दे को लेकर पहाड़ों पर राजनीति गरमाई हुई है।
प्रसूति योजना में भी अनियमितता पाई गई। मातृत्व लाभ के रूप में दी जानेवाली राशि को नियम विरुद्ध तरीके से १०,००० रुपए से बढ़ाकर १५,००० और २५,००० रुपए कर दिया गया। इस योजना के तहत २२५ मामलों में १९.७५ लाख रुपए का अतिरिक्त भुगतान किया गया। नियमों के अनुसार, श्रमिक की मृत्यु के ६० दिनों के भीतर मुआवजा दिया जाना चाहिए, लेकिन देहरादून और ऊधमसिंह नगर में औसतन १४० दिन बाद मुआवजा दिया गया।
आदेश का उल्लंघन कर बांटे २० हजार कंबल
ऊधमसिंह नगर जिले में भी बड़ी अनियमितता सामने आई, जहां २१६ श्रमिकों को दो बार, २८ लाभार्थियों को तीन बार और छह लाभार्थियों को चार बार साइकिलें बांटी गर्इं। इसके अलावा, मंत्रालय द्वारा २५ मार्च २०२१ को जारी आदेश का उल्लंघन कर बोर्ड ने २०,०५३ कंबल भी बांटे। इसी तरह, कर्मकार बोर्ड ने ३३.२३ करोड़ रुपए मूल्य की टूलकिट भी एक अन्य आईटी कंपनी से खरीदीं। जांच में पाया गया कि देहरादून में २२,४२६ टूलकिट वितरित करने के लिए भेजी गई थीं, लेकिन इनमें से केवल १७१ टूलकिट ही वितरित की गर्इं। शेष २२,२५५ टूलकिटों का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। लाभार्थियों से कोई रसीद भी नहीं ली गई।
राशन किट में भी हुआ घोटाला
मई २०२० में कोविड महामारी के दौरान बोर्ड ने पंजीकृत श्रमिकों को घर-घर जाकर राशन किट वितरित करने का आदेश दिया। इसके लिए ९.३६ करोड़ रुपए की ७५,००० राशन किट खरीदी गर्इं, लेकिन जांच में पाया गया कि ये किट उन लोगों को भी वितरित कर दी गई जो बोर्ड में पंजीकृत ही नहीं थे। इसके अलावा, आईटीआई लिमिटेड नामक आईटी सेवाओं की कंपनी से ५३.५८ करोड़ रुपए की राशन किट खरीदी गर्इं। इस कंपनी ने नियमों का उल्लंघन करते हुए ३.५१ करोड़ रुपए का सेंटेज शुल्क भी लिया, जो अनुचित था। बोर्ड ने श्रमिकों की बेटियों या महिला श्रमिकों के विवाह के लिए दी जानेवाली आर्थिक सहायता की राशि ५१,००० रुपए से बढ़ाकर १,००,००० रुपए कर दी। यह निर्णय नियमों के विरुद्ध था, जिससे दिसंबर २०१८ से नवंबर २०२१ तक १,४६८ लाभार्थियों को ७.१९ करोड़ रुपए अधिक वितरित कर दिए गए। पात्रता की भी सही से जांच नहीं की गई।