सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र का बजट सत्र समाप्त होते ही महायुति सरकार ने विधानमंडल की विभिन्न समितियों में नियुक्तियों की घोषणा कर दी है। हालांकि, इन समितियों में विवादास्पद रहे अजीत पवार गुट के पूर्व मंत्री धनंजय मुंडे और वरिष्ठ नेता छगन भुजबल को कोई भी पद नहीं दिया गया है। इन विवादों के चलते ही अजीत पवार ने धनंजय मुंडे को चार हाथ दूर रखा, जबकि छगन भुजबल से भी दादा ने दूरी बनाए रखी। इससे राजनीतिक हलकों में चर्चाओं को बल मिला है।
उल्लेखनीय है कि अजीत पवार गुट की तरफ से विभिन्न विधायकों को अलग-अलग समितियों में शामिल किया गया है, लेकिन पूर्व मंत्री रहे धनंजय मुंडे और छगन भुजबल को किसी भी समिति में स्थान नहीं दिया गया। अजीत पवार ने जानबूझकर विवादित धनंजय मुंडे को समिति में स्थान न देकर उन्हें दूर रखा है, इस बात को लेकर जोरदार चर्चा हो रही है। दूसरी ओर धनंजय मुंडे के इस्तीफे के बाद खाली हुए मंत्री पद को भी अजीत पवार ने अपने पास रख लिया है, जिससे छगन भुजबल की नाराजगी बढ़ती जा रही है।
मंत्री पद पर भुजबल के दावेदारी पर थी चर्चा
बजट सत्र के दौरान चर्चा चल रही थी कि धनंजय मुंडे के इस्तीफे के बाद खाली हुए मंत्री पद पर भुजबल की दावेदारी होगी। लेकिन अजीत पवार ने धनंजय मुंडे का विभाग अपने पास ही रख लिया है। पार्टी का ओबीसी चेहरा माने जाने वाले भुजबल को मंत्री पद से दूर रखने से कार्यकर्ताओं में नाराजगी पैâलती दिख रही है। छगन भुजबल की नाराजगी को अजीत पवार वैâसे दूर करते हैं, अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा।