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बीजेपी से ज्यादा वफादारी दिखा रहे हैं धनखड़! …विपक्ष ने कहा- राज्यसभा सभापति का पक्षपातपूर्ण आचरण अस्वीकार्य

जगदीप को पद से हटाने के लिए लाया अविश्वास प्रस्ताव

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
संसद में जारी गतिरोध के बीच अब विपक्ष राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ गोलबंद हो गया है। विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन जगदीप धनखड़ को पद से हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया है। विपक्षी गठबंधन ने राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को इस आशय का प्रस्ताव सौंप दिया है। जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर ६० सदस्यों के हस्ताक्षर हैं।
जानकारी के मुताबिक, विपक्षी पार्टियों ने संविधान के आर्टिकल ६७-बी के तहत उपराष्ट्रपति को पद से हटाने की मांग को लेकर राज्यसभा में प्रस्ताव पेश कर दिया। यह प्रस्ताव उपराष्ट्रपति को हटाने की मांग को लेकर लाया गया है, जो राज्यसभा के पदेन सभापति भी हैं। इस प्रस्ताव पर सोनिया गांधी और किसी भी दल के फ्लोर लीडर्स ने हस्ताक्षर नहीं किए हैं। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस, राजद, टीएमसी, सीपीआई, सीपीआई-एम, जेएमएम, आप, डीएमके समेत करीब ६० विपक्षी सांसदों ने नोटिस पर हस्ताक्षर किए हैं। कांग्रेस की अगुआई में यह नोटिस विपक्षी दलों और राज्यसभा के सभापति के बीच जारी गतिरोध के मद्देनजर आया है। कांग्रेस की ओर से जयराम रमेश और प्रमोद तिवारी के साथ ही तृणमूल कांग्रेस के नदीम उल हक और सागरिका घोष ने यह प्रस्ताव राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को सौंपा। विपक्षी पार्टियों ने अविश्वास प्रस्ताव में आरोप लगाया है कि उनको बोलने नहीं दिया जाता। चेयरमैन पक्षपात कर रहे हैं। विपक्षी पार्टियों ने एक दिन पहले का उदाहरण देते हुए कहा है कि ट्रेजरी बेंच के सदस्यों को बोलने का मौका दिया गया, लेकिन जब विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे बोल रहे थे तो उनको रोका गया। विपक्ष के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि सभापति का आचरण अस्वीकार्य है। वे भाजपा के प्रवक्ता से भी ज्यादा वफादार दिखने का प्रयास कर रहे हैं।
५० है प्रस्ताव के लिए न्यूनतम संख्या
उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए प्रस्ताव पेश करने के लिए न्यूनतम आवश्यक संख्या ५० है। दरअसल, विपक्ष कई मुद्दों को लेकर धनखड़ से नाराज है। इसमें सबसे ताजा मामला यह है कि उन्होंने उच्च सदन में सत्ता पक्ष के सदस्यों को कांग्रेस-सोरोस संबंध का मुद्दा उठाने की अनुमति दी। जयराम रमेश ने इसे लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर राज्यसभा के सभापति पर पक्षपातपूर्ण तरीके से उच्च सदन की कार्यवाही के संचालन का आरोप लगाया है।

जयराम रमेश ने राज्यसभा सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने को कष्टकारी निर्णय बताते हुए आगे कहा है कि संसदीय लोकतंत्र के हित में यह अभूतपूर्व कदम उठाना पड़ा है। यह प्रस्ताव अभी राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को सौंपा गया है। यह देश के संसदीय इतिहास में पहला मौका है, जब किसी उपराष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए विपक्षी दल राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए हैं।

‘आम आदमी पार्टी’ के सांसद संजय सिंह ने संसद परिसर में संवाददाताओं को बताया कि करीब ६० सांसदों के हस्ताक्षर वाला नोटिस राज्यसभा सभापति के सचिवालय को दिया गया है। विपक्षी दलों ने अगस्त में ही आवश्यक हस्ताक्षर जुटा लिए थे, लेकिन उन्होंने धनखड़ को ‘एक और मौका देने’ का निर्णय लिया था। हालांकि, सोमवार को उनके आचरण को देखते हुए विपक्ष ने आगे बढ़ने का पैâसला किया।

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