-गृहणियों ने भी शुरू किया काम
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई में अब आम इंसानों के लिए रहना अब दूभर हो गया है। यहां घरों की कीमतों के अलावा अब किराए भी आसमान छूने लगी हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, मुंबई में घरों के किराए में करीब ११ फीसदी तक वृद्धि हुई है। इस महंगाई का असर आम लोगों पर दिखाई देना शुरू हो गया है। आम लोगों ने सस्ते घरों की खोज करना शुरू कर दिया है। यही नहीं अपने जीवन यापन के लिए अब गृहणियों ने भी काम करना शुरू कर दिया है। देश का सबसे महंगा किराए का बाजार, जुलाई से सितंबर २०२४ तिमाही में किराए के मामले फिर से चर्चा में हैं।
‘मैजिकब्रिक्स’ की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई में औसत किराया ८६.५० रुपए प्रति वर्ग फुट मासिक रहा, जो देश में सबसे ज्यादा है। यह बढ़ते किराए की समस्या को और गंभीर बनाता है, जहां आम आदमी पहले ही बढ़ती महंगाई से जूझ रहा है।
गृहणियों पर भी बढ़ रहा दबाव
अंधेरी में रहने वाली रेखा गुप्ता, जो अपने दो बच्चों के साथ रहती हैं, कहती हैं कि हमारे फ्लैट का किराया इस साल ५,००० रुपए बढ़ गया है। इसलिए हमें पिछले कई महीनों से सस्ते घर की तलाश है, जिससे हमारा बजट न बिगड़े। बच्चों की पढ़ाई और घरेलू खर्चों के बीच यह अतिरिक्त बोझ है।
तो वहीं बांद्रा की रहनेवाली रीता जायसवाल का कहना है कि मुंबई शहर में किराए के मकान में रहना अब मुश्किल होता जा रहा है। साल दर साल किराया महंगा होने से घर बदलना पड़ता है। आने वाले दिनों में हमें फिर से घर बदलने की तैयारी करनी है क्योंकि किराया महंगा हो गया है। कोरोना के बाद अब ऐसा समय आ गया है कि पति के साथ मुझे भी नौकरी करनी पड़ रही है।
नई मुंबई में किराया ३३.८३ रुपए प्रति वर्ग फुट मासिक रहा, जबकि ठाणे में ३३.१० रुपए और नई मुंबई में अपेक्षाकृत कम किराए के बावजूद, पिछले साल की तुलना में किराए में काफी वृद्धि हुई है। ‘मैजिकब्रिक्स’ के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर प्रसून कुमार ने कहा कि रेडी-टू-मूव फ्लैट्स की बढ़ती खरीदारी में वृद्धि हुई है, लेकिन निर्माणाधीन परियोजनाओं से बाजार में संतुलन आने में अभी समय लगेगा।
प्रशासन और डेवलपर्स के लिए बनी चुनौती
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में किराए की दरों में और वृद्धि हो सकती है। मुंबई जैसे महंगे शहर में, आम लोग अब उपनगरीय इलाकों का रुख कर रहे हैं। लेकिन ठाणे और नई मुंबई जैसे क्षेत्रों में भी बढ़ती मांग के चलते किराए में वृद्धि जारी है। आम मुंबईकरों की शिकायतें अब प्रशासन और डेवलपर्स के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी हैं। सवाल यह है कि क्या बाजार में संतुलन लाने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे?