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रिटायर्ड कर्मचारी को डिजिटल अरेस्ट कर 10 लाख ठगे

रमेश सर्राफ धमोरा
झुंझुनू। सीबीआई का असिस्टेंट डायरेक्टर बता कर एक साइबर ठग ने केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल सचिवालय से रिटायर्ड कर्मचारी को डेढ़ महीने तक डिजिटल अरेस्ट रख कर 10 लाख रुपए ठग लिए। पीड़ित सीबीआई ऑफिस पहुंचा तो ठगी का पता चला। मामला राजस्थान में झुंझुनू जिले के गुढ़ागौड़जी थाना इलाके के रघुनाथपुरा गांव का है।
गुढ़ागौड़जी थानाधिकारी राम मनोहर ठोलिया ने बताया कि हरलाल सिंह जाट (80) निवासी रघुनाथपुरा ने साइबर ठगी की रिपोर्ट दर्ज करवाते हुए बताया कि मैं केंद्र सरकार मंत्रिमंडल सचिवालय से 31 जुलाई 2006 को रिटायर हुआ। 13 सितंबर 2024 को दोपहर 12.30 बजे एक कॉल आया। बताया कि मैं दिल्ली पुलिस से बोल रहा हूं। दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से कस्टम ने विदेश जा रहा एक पार्सल पकड़ा है। इसमें 16 फर्जी पासपोर्ट, 56 एटीएम और 140 ग्राम एमडी (ड्रग्स) है।

उन्होंने पार्सल की संख्या बताई और मेरे नाम और आधार संख्या बताते हुए कहा कि यह 11 सितंबर को भारत से क्वालालंपुर मलेशिया जाने वाला था। मैंने कहा कि मैंने ऐसा कोई पार्सल नहीं भेजा। उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी और मेरी चल-अचल संपत्ति और बैंक अकाउंट के ब्योरे मांगे। मैं उन्हें देता चला गया। उन्होंने मुझे दिल्ली पुलिस के सुनील कुमार की पहचान पत्र की कॉपी भेजी। ताकि यकीन हो जाए कि दिल्ली पुलिस मुझसे पूछताछ कर रही है।

इसके अलावा एक केस रिपोर्ट फाइल उन्होंने मुझे भेजी। जिसमें स्पेशल डायरेक्टर सीबीआई प्रवीण सूद लिखा था। इसमें मुझ पर मानव तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग समेत कई आरोप लगाए हुए थे। यह कॉपी मुझे ऑनलाइन भेजी गई। मुझे आदेश दिया गया कि मेरे खाते से 10 लाख रुपए आरबीआई को ट्रांसफर किया जाए। खाता धारक का नाम सांवरिया एंटरप्राइजेज था। उसके खाते में मुझसे 10 लाख रुपए ट्रांसफर करा लिए गए। पैसे ट्रांसफर होने के बाद मुझे नोटेरी पब्लिक ऑफ दिल्ली की कॉपी ऑनलाइन भेज दी गई। मुझसे कहा गया कि मेरा नाम अजित श्रीवास्तव है मैं सीबीआई में असिस्टेंट डायरेक्टर हूं।
उस व्यक्ति ने 4 अक्टूबर को नोटेरी पब्लिक दिल्ली की तरफ से लिखे एक पत्र की फोटोकॉपी मुझे भेजी। इसमें लिखा- आरबीआई ने किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि नहीं पाई है। फंड का स्टेटस भेजकर सीबीआई को आगे की कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे। 6 अक्टूबर को अजित श्रीवास्तव जो अब तक सीबीआई का असिस्टेंट डायरेक्टर था, उसने ईडी का डायरेक्टर बनकर बात की। वह मुझ पर और पैसे के लिए दबाव बनाता रहा । मैं कहता रहा कि मैं आपसे दिल्ली आकर मिलूंगा और बाकी बची रकम आरबीआई में जमा करा दूंगा।

उसने मुझे 24 अक्टूबर को दिल्ली में सीबीआई हेड क्वार्टर पहुंचने के लिए कहा। मै 24 तारीख को दिल्ली सीबीआई हेड क्वार्टर पहुंचा और उस नंबर पर कॉल किया। मुझे सीबीआई हेड क्वार्टर की तस्वीर दिखाने का आदेश दिया गया। मैंने तस्वीर दिखा दी। इसके बाद मुझसे कहा गया कि रिसेप्शन पर बैठो, मैं आपके पास आदमी भेजता हूं, जो आपको मेरे ऑफिस में ले आएगा। मै लगभग एक घंटे से अधिक समय तक रिसेप्शन पर बैठा रहा। न तो कोई बुलाने वाला आया और न ही कोई कॉल आई। आखिर मैंने रिसेप्शन ऑफिसर को बताया कि मुझे एक घंटे से अजित श्रीवास्तव नाम के अधिकारी ने मिलने के लिए बैठा रखा है। रिशेप्सन अधिकारी ने कंप्यूटर से चेक करके बताया कि इस नाम का कोई भी अधिकारी सीबीआई हेड क्वार्टर में नहीं है। अपने साथ ठगी का पता चलने के बाद हरलाल सिंह ने गुढ़ागौड़जी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई।
झुंझुनू के जिला पुलिस अधीक्षक शरद चैधरी ने इस प्रकरण में कहा कि रिटायर्ड सचिवालय कर्मचारी से डिजिटल अरेस्ट के जरिए फ्रॉड किया गया है। इन्होंने दिल्ली सचिवालय में काफी लंबी सेवाएं दी हैं। इन्हें धोखा देने में साइबर ठग कामयाब रहे। हम कोशिश करेंगे कि ट्रांजैक्शन में गया पैसा रिटर्न करा पाएं और जल्द ठगों को गिरफ्तार करें।

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