– मानधन भी मिल रहा मामूली
– बच्चू कडू ने मुख्यमंत्री को सौंपा इस्तीफा
सामना संवाददाता / मुंबई
पिछली सरकार के कार्यकाल में दिव्यांगों का कल्याण करने के लिए स्थापित किए गए स्वतंत्र दिव्यांग मंत्रालय मौजूदा समय में खुद ही विकलांग हो गया है। यह विभाग मंत्री और सचिव विहीन है। विभाग में भर्ती तो छोड़िए दिव्यांगों को समय पर मानधन भी नहीं मिल रहा है, जो दिया भी जा रहा है वह मामूली है। इससे नाराज होकर प्रहार संगठन के अध्यक्ष बच्चू कडू ने कल दिव्यांग कल्याण अभियान के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को सौंप दिया है। इसी के साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि सरकार दिव्यांग मंत्रालय की अनदेखी कर रही है।
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में बच्चू कडू ने संज्ञान में लाया है कि दिव्यांग मंत्रालय में मंत्री और सचिव दोनों ही नहीं हैं। उन्होंने इस ओर भी ध्यान आकृष्ट कराने की कोशिश कि दिव्यांगों को महाराष्ट्र में मिलने वाला मानधन बहुत ही मामूली है। वह भी समय पर नहीं मिलता है। दिव्यांगों के लिए हमें बहुत कुछ करना है। उसके लिए आंदोलन के सिवा कोई विकल्प नहीं बचा है। यह दिव्यांग कल्याण अभियान के अध्यक्ष पद पर रहते हुए करना संभव नहीं है। इसीलिए मैं पद से इस्तीफा दे रहा हूं।
मनपा नहीं खर्च कर रही है निधि
स्थानीय स्वराज्य संस्थाएं दिव्यांगों के लिए किए गए प्रावधान में से पांच फीसदी निधि खर्च ही नहीं कर रही हैं। इस विभाग के लिए स्वतंत्र मंत्री और सचिव नहीं हैं। इसके चलते आज तक दिव्यांग कल्याण मंत्रालय का काम शुरू नहीं हो सका है। कडू ने कहा कि मुझे ऐसा लग रहा है कि जब तक मैं इस विभाग में अध्यक्ष पद पर बना रहूंगा, तब तक काम होगा ही नहीं। उन्होंने कहा कि मुझे दिव्यांगों के साथ बेइमानी पसंद नहीं है।
जिलों में नहीं है स्वतंत्र कार्यालय
जिलों में स्वतंत्र कार्यालय तक नहीं है। रिक्त पदों को नहीं भरा जा रहा है। इस तरह के कई विषयों की पूर्ति नहीं हुई है इसलिए दिव्यांगों के सर्वांगीण विकास के लिए मुझे आंदोलन करना पड़ेगा।
पत्र में क्या है?
राज्य में दिव्यांग मंत्रालय का गठन हुआ। लेकिन अन्य राज्यों की अपेक्षा महाराष्ट्र में दिव्यांगों को मिलने वाला मानधन सबसे कम है, जो समय पर कभी नहीं मिलता है।
मंत्रालय के फैसलों की नहीं दी जाती थी जानकारी
२४ मई २०२३ को बच्चू कडू को दिव्यांग कल्याण विभाग के अध्यक्ष पद पर चयन करते हुए उन्हें मंत्री पद का दर्जा दिया गया था, लेकिन कुछ महीने बीतते ही विभाग में चल रहे कामकाज और सरकार की उदासीनता रवैए पर नाराजगी जताई थी। बच्चू कडू ने खेद जताते हुए कहा कि मैं दिव्यांग अभियान का केवल नाम के लिए ही अध्यक्ष बचा था। दिव्यांग मंत्रालय ने क्या पैâसले किए, उसकी भी जानकारी मुझे नहीं दी जा रही थी।