ईडी सरकार के पास आरटीई शुल्क प्रतिपूर्ति का बकाया है रु. २,४०० करोड़
सामना संवाददाता / मुंबई
आर्थिक और सामाजिक रूप से वंचित छात्रों की शैक्षणिक हानि को रोकने के लिए राज्य सरकार को आरटीई शुल्क प्रतिपूर्ति के बकाया २,४०० करोड़ रुपए स्कूल संचालकों को देना चाहिए। संचालकों के पैसे नहीं मिलने से एक लाख गरीब छात्रों को आरटीई के तहत प्रवेश नहीं मिल पाएगा। यह मांग राकांपा (शरदचंद्र पवार) के प्रदेश महासचिव और प्रवक्ता सुनील माने ने मुख्यमंत्री से की है।
महाराष्ट्र में शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत आर्थिक और सामाजिक रूप से वंचित छात्रों के लिए निजी, गैर-सहायता प्राप्त और स्वयं वित्तपोषित स्कूलों में २५ प्रतिशत सीटें आरक्षित रखी जाती हैं। इस साल आरटीई के तहत प्रवेश लेने वाले छात्रों से पूरी फीस अग्रिम रूप से ली जाएगी। यह निर्णय महाराष्ट्र इंग्लिश स्कूल ट्रस्टीज एसोसिएशन ने लिया है।
सरकार और स्कूल संचालकों के इस विवाद में अभिभावकों और छात्रों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इससे शिक्षा के अधिकार कानून के प्रावधानों का भी उल्लंघन हो रहा है। आरटीई के तहत प्रवेश लेने वाले १ लाख छात्रों के प्रवेश अब खतरे में पड़ गए हैं। यही वजह है कि माने ने मुख्यमंत्री से विद्यार्थियों के शैक्षणिक नुकसान को रोकने के लिए राज्य के स्कूलों को आरटीई शुल्क प्रतिपूर्ति के बकाया २,४०० करोड़ रुपए तुरंत जारी करने का अनुरोध किया है।
जिम्मेदारी से बच रही सरकार
स्कूल संचालकों का कहना है कि सरकार से समय पर शुल्क प्रतिपूर्ति नहीं मिलने के कारण संस्थाओं को चलाना मुश्किल हो रहा है। आरटीई के तहत प्रवेश लेने वाले छात्र आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से आते हैं, जिनके लिए अच्छे स्कूलों में प्रवेश लेना संभव नहीं होता। ऐसे छात्रों को अच्छी शिक्षा देना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन सरकार इस जिम्मेदारी से बच रही है।