मुख्यपृष्ठसंपादकीयअशांत ‘आत्माओं' की सरकार

अशांत ‘आत्माओं’ की सरकार

मोदी ने घटक दलों के आधार पर तीसरी बार सरकार बनाई। नए मंत्रिमंडल के पत्ते भी पीसे। हालांकि, खेल में ५२ पत्ते हैं, मोदी ने अपनी तीसरी पारी के लिए ‘७२’ ‘पत्ते’ पीसे हैं। उसमें भी भाजपा ने सारे ‘बड़े’ पत्ते अपने पास रखे हैं और ‘हल्के’ पत्ते अपने सहयोगियों के सामने फेंक दिए हैं। गृह, रक्षा, वित्त, विदेश, सड़क विकास, रेलवे जैसे महत्वपूर्ण खाते भाजपा के पास रहेंगे। मोदी-३ जिन स्तंभों पर खड़ा है, उनमें दो पार्टियां ‘तेलुगु देशम’ और संयुक्त जनता दल अहम हैं। लेकिन उन्हें दो-दो मंत्री पद मिले हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि अन्य घटक दलों को एक और मंत्री पद के लिए समझौता करना पड़ा। इसका मतलब यह है कि ‘मोदी-३’ के मंत्रिमंडल का आकार बड़ा होने के बावजूद घटक दलों की सीटें छोटी हैं। २०१४ की सरकार में प्रधानमंत्री मोदी समेत ४६ सांसद मंत्री बने थे। २०१९ में यह संख्या बढ़कर ५९ हो गई। अब प्रधानमंत्री सहित ७२ सदस्यों का मंत्रिमंडल है। लेकिन घटक दलों को राज्यमंत्री या छोटे विभागों पर मनौवल कराकर भाजपा ने अपना चिर-परिचित मिजाज दिखा दिया है। बातचीत के दौरान घटक दलों की जमकर तारीफ करना और जब असल में उनकी झोली में कुछ डालने की बारी आए तो मेहरबानी के तौर पर कुछ भी डाल देना, यही मोदी के भाजपा की आदत है। यही तस्वीर ‘मोदी-३’ की कैबिनेट की है। सहयोगियों के प्रति भाजपा की यह नीति पुरानी ही है। जब तक जरूरत है, तब तक महिमामंडन करना और जरूरत खत्म होने पर फेंक देना। सरकार बनाते समय जिस ‘एनडीए’ का गुणगान मोदी कर रहे थे, उस ‘एनडीए’ और उसके घटक दलों की मंत्रिमंडल बनाने और महकमों का बंटवारा करते समय याद नहीं आई। ‘मोदी-३’ में प्रधानमंत्री समेत ७२ मंत्री हैं। लेकिन इसमें भाजपा की हिस्सेदारी ६१ और घटक दलों का ‘घाटा’ ११ है। महकमों के आवंटन में भी भाजपा ने ‘संतुष्टि’ डकार ली है और अब समय आ गया है कि घटक दलों को फेंके टुकड़े खाकर पेट पर हाथ फेरना पड़ेगा। २०२४ में मोदी को ‘एनडीए’ की हिचकी लगी यह सच है; लेकिन मंत्री पद और विभागों के बंटवारों के दौरान भाजपा की पूंछ टेढ़ी ही रही। यह साफ है कि भविष्य में भी भाजपा के पहाड़े में भाजपा लिए ‘अन्ना’ और घटक दलों के लिए ‘नन्ना’ ही रहेगा। अभी सिर्फ कैबिनेट और विभागों का आवंटन हुआ है। आनेवाले दिनों में कई नीतिगत और अहम सवाल उठेंगे। उस वक्त भाजपा और एनडीए के घटक दलों के बीच सत्ता का ‘हनीमून’ चल रहा है या फिर ‘इधर हनी और उधर मून’ जैसे हालात होंगे, मालूम पड़ेगा। वह दिन दूर नहीं है। क्योंकि भले ही मोदी ने केंद्र में तीसरी बार सरकार बनाई हो, लेकिन मंत्रिमंडल और विभाग आवंटन इस सरकार के लिए ‘प्रथम ग्रासे मक्षिकापात’ रहा है। यह सच है कि मोदी ने भाजपा और घटक दलों के ‘पत्ते’ पीसकर अपनी तीसरी कैबिनेट बनाई है, लेकिन घटक दलों को फेंके गए ‘हल्के’ पत्ते ही उन पर ‘भारी’ पड़ने वाले हैं। तीसरी बार सरकार बनाते समय ‘एनडीए’ उनकी सरकार की आत्मा है आदि कहने वाले मोदी कैबिनेट बनाते समय और विभाग बांटते समय यह बात भूल गए। इसलिए अब मोदी-३ सरकार में शामिल घटक दलों की ‘आत्माएं’ परेशान हो गई हैं। बेचैन ‘आत्माओं’ की ये सरकार ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाएगी!

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