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२७, ००० बेस्ट कर्मियों की दिवाली हुई काली! … बोनस नहीं मिलने से नाराज हुए वर्कर्स 

– बेस्ट प्रशासन ने भी नहीं किया कोई प्रयास
सामना संवाददाता / मुंबई 
लोकल ट्रेन के बाद ‘बेस्ट’ बसों को मुंबई की दूसरी लाइफ लाइन कहा जाता है। बेस्ट की आर्थिक स्थिति जहां पहले से ही खराब थी, वहीं अब बेस्ट कर्मियों के साथ भी अच्छा व्यवहार नहीं किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि दिवाली में बोनस नहीं मिलने के कारण करीब २७ हजार बेस्ट कर्मियों की दिवाली ‘काली’ हो गई है। अब नाराज बेस्टकर्मी इसके लिए बेस्ट प्रशासन को ही जिम्मेदार मान रहे हैं। मनपा ने सानुग्रह अनुदान के लिए बजट में ७० करोड़ रुपए की व्यवस्था की थी, लेकिन ‘बेस्ट’ प्रशासन की तरफ से कर्मचारियों के बोनस के बारे में मनपा प्रशासन से कोई भी प्रयास नहीं किया गया, जिसके चलते बोनस का मामला अटका हुआ है।
गौरतलब है कि ‘बेस्ट’ से हर दिन करीब ३० से ३५ लाख से अधिक मुंबईकर यात्रा करते हैं। यात्रियों को ‘घर’ तक पहुंचाने के लिए हजारों कर्मचारी दिन-रात काम कर रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से आर्थिक संकट में चल रही ‘बेस्ट’ को अपने कर्मचारियों को बोनस, वेतन सहित अन्य भत्ता देने के लिए हर वर्ष मनपा से अनुदान लेना पड़ता है। यह कोई पहली बार नहीं है, हर बार ‘बेस्ट’ को दिवाली से पहले बोनस के लिए मनपा के सामने गिड़गिड़ना पड़ता है।
खास बात यह है कि इस वर्ष विधानसभा चुनावों के आचार संहिता लगने की संभावना के कारण यह प्रयास चुनाव घोषणा होने से पहले करना अनिवार्य था, लेकिन ‘बेस्ट’ प्रशासन ने कोई भी पहल नहीं की। चुनाव आयोग ने १५ अक्टूबर को चुनाव की घोषणा की, जिसके कारण आचार संहिता लागू हो गई और कर्मचारियों को दिवाली पर बोनस मिलना असंभव हो गया। अगर ‘बेस्ट’ प्रशासन अब भी प्रयास करता है, तो बोनस चुनावों के बाद, यानी दिवाली के बाद ही मिलने की संभावना है।

प्रशासन की लापरवाही
आर्थिक संकट का बहाना देते हुए हर वर्ष प्रशासन से सानुग्रह अनुदान देने में टाल-मटोल की जाती है। हालांकि, विभिन्न संगठनों की समन्वय समिति और ‘बेस्ट’ कामगार संघ के प्रयासों के कारण कर्मचारियों को बोनस मिल जाता है। पिछले वर्ष ‘बेस्ट’ के कर्मचारियों को २९ हजार रुपए बोनस मिला था। इस वर्ष भी समन्वय समिति ने कर्मचारियों को बोनस देने की मांग महाप्रबंधक से की है, ऐसा समन्वय समिति के अध्यक्ष बाबा कदम ने बताया।
वहीं ‘बेस्ट’ कामगार संघ ने इस वर्ष ४० हजार रुपए  बोनस देने की मांग की है, ऐसा संघ के अध्यक्ष सुहास सामंत ने बताया। लेकिन प्रशासन की लापरवाही के कारण हजारों कर्मचारियों को दिवाली बिना बोनस के ही मनाने की कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।

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