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डायबिटीज को न करें अनदेखा, थोड़ी सावधानी से होगा कंट्रोल, डॉक्टरों ने दी सावधानी बरतने की सलाह

अमर झा / मीरा रोड
भाग दौड़ और तनाव भरी जिंदगी, असंतुलित खानपान से इंसान छोटी सी उम्र में ही कई बीमारियों की चपेट में आ जाता है। अब इसमें सबसे कॉमन हो गया है डायबिटीज। डायबिटीज को भले ही हौवा माना जाता हो लेकिन अगर थोड़ी सी सावधानी बरती जाए तो इससे छुटकारा पाया जा सकता है। इसी कड़ी में मीरा रोड के शांति नगर के एमटीएनएल रोड पर स्थित ओकस इमारत में स्थित हितांक्षी अस्पताल के संचालक डॉ. आर.के. शर्मा (फिजिशियन, डायबिटीज स्पेशलिस्ट) ने डायबिटीज से जुड़ी कई जानकारियां दीं, साथ ही इससे बचाव के उपाय भी बताए, तो वहीं उनकी पत्नी डॉ. प्रीति शर्मा (स्त्री रोग विशेषज्ञ) ने भी महिलाओं से जुड़े रोग और उसके बचाव के बारे में जानकारी दी।

डायबिटीज के शुरुआती लक्षण 
डॉ. शर्मा बताते हैं कि डायबिटीज के कुछ शुुरुआती प्राथमिक लक्षण हैं, जैसे बार-बार भूख लगना, कमजोरी महसूस होना, अधिक प्यास लगना इत्यादि। अगर ये सारे लक्षण किसी को नजर आते हैं तो उन्हें तुरंत अपनी डायबिटीज जांच कराना चाहिए।
इस बीमारी के होने के कारण
डॉ. शर्मा का कहना है कि आजकल डायबिटीज होने का मुख्य कारण लोगों की जीवनशैली है। लोग आरामतलब हो गए हैं। खान-पान की अनियमितता एवं छोटी-छोटी समस्याओं में तनाव लेना भी इसके कारण हैं।
क्या हैं बचाव
डॉ. शर्मा कहते हैं कि अगर कोई डायबिटीज से पीड़ित हो जाए तो उसे सबसे पहले अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना चाहिए। सुबह-शाम टहलना, व्यायाम करना चाहिए और हो सके तो शारारिक मेहनत को अपनी डेली रूटीन में शामिल करना चाहिए। अगर डॉक्टर ने दवाई या इंसुलिन लेने की सलाह दी है तो उसे अनदेखा न करें और हां, मीठा खाने से बचें  अपना रूटीन चेकअप कराते रहें।

कम उम्र में माहवारी की शिकायत
आज-कल कम उम्र की कई लड़कियों में हार्मोन की गड़बड़ी के कारण उम्र से पहले माहवारी शुरू होने की शिकायत देखने को मिल रही है। इन सब का मुख्य कारण है लड़कियों  का घर में रहकर मोबाइल, टीवी, कंप्यूटर पर लगे रहना, असंतुलित भोजन करना, आउट डोर खेल-कूद में इन्वॉल्व न होना।
कम उम्र में माहवारी के दुष्परिणाम 
कम उम्र में माहवारी की समस्या से लड़कियों में कई दुष्परिणाम देखने को मिलते हैं। उनके शारीरिक विकास में बाधा आना, मोटापा आना, लंबाई नहीं बढ़ना, समय से पहले ही माहवारी बंद हो जाना और गर्भाशय वैंâसर होने का भी खतरा बना रहता है।
बचने के उपाय
डॉ. प्रीति बताती हैं कि बच्चों की जीवनशैली को ठीक करना चाहिए। उन्हें खेलने-कूदने के लिए बाहर भेजना चाहिए। अगर हो सके तो उन्हें खाने में प्रोटीन, फाइबर से युक्त भोजन दें, फास्टफूड एकदम से बंद कर दें। बच्चों को पढ़ाई के लिए ज्यादा दबाब न बनाएं। अगर आप महिला हैं तो व्यायाम करना चाहिए, लेट नाइट पार्टी से बचना चाहिए, शराब सिगरेट का सेवन न करें।

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