-कत्लखाने के आरक्षण विवाद को लेकर आपस में भिड़े भाजपाई
प्रेम यादव / भायंदर
उत्तन इलाके में प्रस्तावित कत्लखाने के विरोध से उपजा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक ओर मीरा-भायंदर के कई नेताओं ने इस कत्लखाने का विरोध किया, तो दूसरी ओर अब टेंडर रद्द करवाने का श्रेय लेने की होड़ मची हुई है।
विधायक गीता जैन का दावा है कि उन्होंने मनपा आयुक्त संजय काटकर से मुलाकात कर यह टेंडर रद्द करवाया। वहीं, पूर्व विधायक नरेंद्र मेहता ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि उन्होंने इस मामले में महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री व गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस से बात की थी, जिसके बाद फडणवीस ने मनपा आयुक्त को फोन कर टेंडर रद्द करने के निर्देश दिए।
मेहता के इस बयान के बाद विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। अब यह सवाल उठने लगे हैं कि मनपा के किसी टेंडर को मंत्री के फोन से रद्द किया जाना किस कानूनी प्रक्रिया के तहत आता है? क्या मनपा आयुक्त स्थानीय नेताओं या लोकसेवकों के कहने पर फैसले लेते हैं, या उन्हें अपने विवेक से निर्णय लेने का अधिकार है?
सामाजिक कार्यकर्ता धवल मकवाना ने भी इस पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि क्या किसी नेता के फोन पर टेंडर जारी करना या रद्द करना मनपा की प्रक्रिया का हिस्सा है? और अगर यह सब इतना आसान है, तो क्या इस तरह की टेंडर प्रक्रियाओं में फडणवीस जैसे नेताओं की भूमिका होती है? नरेंद्र मेहता के बयान ने मनपा की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं, जिससे इस पूरे मामले में नया मोड़ आ गया है।