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डबल ‘घात’! … फडणवीस के भस्मासुर! …शिंदे नहीं मान रहे सीएम के आदेश

अलग बैठकें, मंत्रिमंडल से किनारा और स्वतंत्र सहायता कक्ष
सामना संवाददाता / मुंबई
दाढ़ी को हल्के में न लें कहने वाले उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंत्रालय में समानांतर सरकार चलाने की शुरुआत कर एक तरह से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को चुनौती दी है। मंत्रालय में मुख्यमंत्री के वॉर रूम की तर्ज पर उपमुख्यमंत्री शिंदे ने अपना को-ऑर्डिनेशन रूम शुरू कर अपना अलग सत्ता केंद्र बनाने का प्रयास शुरू किया है। यही नहीं स्वतंत्र चिकित्सा कक्ष बनाकर महायुति सरकार में अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश शुरू कर दी है। इससे मंत्रालय में नया विवाद पैदा हो गया है।
मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद से एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस के बीच शतरंज की बिसात पर राजनीति शुरू हो गई है। पिछले कुछ दिनों से मुख्यमंत्री फडणवीस द्वारा आयोजित अधिकांश बैठकों से दूर रहकर शिंदे ने स्वतंत्र बैठकें लेना शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री मंत्रालय के वॉर रूम से राज्य की बुनियादी सुविधा परियोजनाओं की समीक्षा कर रहे हैं।

शिंदे दे रहे मुख्यमंत्री फडणवीस को चुनौती!
समानांतर सत्ता का केंद्र बनने की कोशिश
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने म्हाडा, एमएमआरडीए, एमएसआरडीसी जैसे विभागों के कामकाज पर नजर रखने के लिए अपना वॉर रूम शुरू करने का फैसला लेकर मुख्यमंत्री फडणवीस को चुनौती देने की रणनीति अपनाई है। मंत्रालय की सातवीं मंजिल पर मुख्यमंत्री फडणवीस का वॉर रूम है। यहां से मेट्रो, समृद्धि महामार्ग और राज्य की विभिन्न बुनियादी सुविधा परियोजनाओं पर नजर रखी जाती है। इसके ठीक बगल में उपमुख्यमंत्री शिंदे का समन्वय केंद्र यानी वॉर रूम शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है।
इससे अब सवाल यह उठने लगा है कि क्या राज्य में दो समानांतर सत्ता केंद्र बन रहे हैं। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री फडणवीस के पैâसलों को शिंदे गुट ने मानने से इनकार कर दिया है। रायगड और नासिक के पालकमंत्रियों की नियुक्ति को शिंदे गुट के विरोध के कारण स्थगित करना पड़ा। महीना बीत जाने के बाद भी महायुति सरकार में पालकमंत्री पद को लेकर चल रहा विवाद खत्म नहीं हुआ है।
फडणवीस की बैठकों से मोड़ा मुंह
मंत्रिमंडल की बैठकों से अक्सर दूर रहने वाले एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री फडणवीस द्वारा बुलाई गई अधिकांश विभागीय बैठकों से मुंह मोड़ना शुरू कर दिया है। १०० दिनों की समीक्षा के दौरान वे अपने विभाग की बैठकों में भी शामिल नहीं हुए थे। मुंबई में हुई नासिक कुंभ मेला तैयारी संबंधी बैठक से भी उन्होंने दूरी बना ली थी। इसके चार दिन बाद नासिक जाकर कुंभ मेले की बैठक लेकर शिंदे ने फडणवीस पर करारा प्रहार करने की कोशिश की।
मशक्कत कर रहे अधिकारी
मंत्रिमंडल में मंत्रियों को विभिन्न विभाग सौंपे गए हैं लेकिन मुख्यमंत्री सभी विभागों के प्रमुख होते हैं। इसलिए उनकी बैठकों में शामिल होना संबंधित विभागों के अधिकारियों की जिम्मेदारी है। उपमुख्यमंत्री शिंदे ने अपने विभागों के साथ-साथ शिंदे गुट के मंत्रियों के विभागों की बैठकों की समीक्षा करना शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री द्वारा बैठक बुलाए जाने के एक-दो दिन बाद उपमुख्यमंत्री कार्यालय से उसी विषय पर बैठक बुलाई जा रही है। बार-बार होने वाली इन बैठकों से अधिकारियों की मशक्कत बढ़ गई है। मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कक्ष से राज्य के गरीब मरीजों को मदद दी जाती है। शिंदे के मुख्यमंत्री रहते हुए इस कक्ष का काम मंगेश चिवटे देखते थे। फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने के बाद चिवटे को हटा दिया गया। हालांकि, अब उपमुख्यमंत्री शिंदे ने अपना अलग चिकित्सा सहायता कक्ष बनाकर चिवटे को वहां नियुक्त करने की घोषणा की है, जिससे फडणवीस और शिंदे के बीच छुपा संघर्ष सामने आ गया है।
इन परियोजनाओं की स्वतंत्र समीक्षा
-मुंबई, ठाणे, पुणे, नासिक जैसे बड़े शहरों में मेट्रो नेटवर्क बनाकर यातायात की समस्या को दूर करना। -समृद्धि महामार्ग का काम अंतिम चरण में है, जिस पर फडणवीस के साथ-साथ शिंदे भी नजर रख रहे हैं। -मुंबई कोस्टल रोड का काम पूरा होने के बाद बांद्रा सी लिंक से विरार तक इस परियोजना को ले जाने की योजना है।
– विरार से अलिबाग सुपर एक्सप्रेस कॉरिडोर के साथ-साथ कोकण में कोस्टल रोड का नेटवर्क बनाना। -शक्तिपीठ महामार्ग परियोजना की बाधाओं को दूर करने और भूमि अधिग्रहण को गति देना।
– मुंबई की इमारतों के पुनर्विकास, एसआरए परियोजनाओं और मुंबई, ठाणे में क्लस्टर डेवलपमेंट को गति देना।
– तीसरी मुंबई (नैना) परियोजना की भी समीक्षा इस वॉर रूम से की जाएगी।

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