डॉ. मनमोहन सिंह भारतीय राजनीति और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नाम हैं। वे भारत के 13वें प्रधानमंत्री थे और 2004 से 2014 तक लगातार 10 वर्षों तक इस पद पर रहे। अपनी सादगी, विद्वता, और नीतिगत स्पष्टता के लिए वे व्यापक रूप से सम्मानित हैं।
उनकी मुख्य विशेषताएँ और योगदान के लिए वे हमेशा याद आते रहेंगे। वे अर्थशास्त्र के विद्वान थे। कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड से शिक्षा प्राप्त डॉ. मनमोहन सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी। वर्ष 1991 में आर्थिक सुधारों के तहत उन्होंने भारत को वैश्विक आर्थिक मंच पर मजबूत आधार प्रदान किया। आर्थिक मंदी से भारत को उभारकर उन्होंने नई अर्थव्यवस्था की नींव रखी। वर्ष 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी के दौरान उनकी दूरदर्शिता ने भारत को गहरे संकट से बचाया।
डॉ. मनमोहन सिंह कई सारी योजनाओं के जनक थे। आधार योजना से पहचान सुनिश्चित करने का क्रांतिकारी कदम उठाया। मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) से ग्रामीण भारत में रोजगार का अधिकार उपलब्ध कराया। भारत में व्यापक स्तर पर केंद्रीय कानून के तौर पर सूचना का अधिकार (RTI) कार्यान्वित किया। पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने वाला कानून आज लोकप्रिय है और आम लोगों के लिए राहत वाला कानून बन गया है।
डॉ. मनमोहन सिंह कांग्रेस से जुड़े थे लेकिन वे हमेशा वगैर-पक्षपाती नेतृत्व के लिए जाने गए। कांग्रेस पार्टी से जुड़े होने के बावजूद वे दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करते रहे। प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद भी उनकी सादगी और निष्ठा बनी रही। उनपर मौनी बाबा होने का आरोप लगा लेकिन कभी भी उन्होंने अपनी मर्यादा नहीं छोड़ी ना विपक्षियों को भला- बुरा कहा।
डॉ. मनमोहन सिंह सादगी और ईमानदारी का प्रतीक थे। सार्वजनिक जीवन में उनका व्यवहार और आचरण हमेशा प्रेरणादायक रहा। उन्होंने अपने जीवनकाल में पद का कभी दुरुपयोग नहीं किया और आम जनता से सहजता से मिलते रहे।
डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन और कार्य भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए प्रेरणादायक उदाहरण है। उनकी नीतियों और व्यक्तित्व का प्रभाव आज भी महसूस किया जाता है।
अनिल गलगली
वरिष्ठ पत्रकार एवं आरटीआई कार्यकर्ता