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ड्रैगन ने २,००० वर्ग किमी भारतीय भूमि पर कर रखा है कब्जा, फिर भी अडानी मांगे चीनी इंजीनियर!

-३० को लाने के लिए केंद्र से मांगी मंजूरी

-कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरा

सामना संवाददाता / नई दिल्ली

गलवान कांड के बाद चीन ने हिंदुस्थान की २,००० वर्ग किलोमीटर भूमि पर कब्जा कर रखा है पर मोदी सरकार इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं है। एक तरफ जहां मोदी सरकार दिखावे के लिए चीन का विरोध करती है, वहीं उसके समर्थक चीनी समान के विरोध का ड्रामा करते हैं। ऐसे में मोदी के प्रिय उद्योगपति अडानी ने अपने प्रोजेक्ट के लिए चीनी इंजीनियरों की मांग की है। इसके लिए उन्होंने मोदी सरकार से मंजूरी मांगी है। कांग्रेस ने इस मामले में मोदी सरकार को घोरा है।
बता देंं कि अडानी समूह ने अपने सोलर मैन्युपैâक्चरिंग प्रोजेक्ट में सहायता के लिए आठ चीनी कंपनियों का चयन किया है। इस खबर का हवाला देते हुए कांग्रेस ने सवाल किया कि क्या करदाताओं के पैसे का लाभ चीनी कंपनियों को मिलना चाहिए?
मोदी सरकार का चीनी विरोध सिर्फ दिखावा!

मोदी सरकार का चीनी विरोध सिर्फ दिखावा है। मोदी सरकार के प्रिय उद्योगपति अडानी अपने सोलर प्रोजेक्ट के लिए चीन से इंजीनियरों को मंगाने जा रहे हैं। इसकी मंजूरी देने के लिए अडानी ने मोदी सरकार से गुहार लगाई है। इस मामले में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए ‘भारत को चीन पर निर्भरता से मुक्त करने के लिए’ एक रणनीति बनाने का आह्वान किया।
रमेश ने कटाक्ष करते हुए लिखा, ‘नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री ने १९ जून, २०२० को गलवान झड़पों के बाद कहा था कि न कोई हमारी सीमा में घुस आया है, न ही कोई घुसा हुआ है। हालांकि, वह अपने एक ‘टेम्पोवाले’ दोस्त की मदद करने के लिए चीनी श्रमिकों को वीजा जारी करने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाते हैं।’ इसके साथ ही कांग्रेस नेता ने अडानी सोलर द्वारा चीन से कुछ इंजीनियरों को हिंदुस्थान लाने के लिए केंद्र से मांगी गई अनुमति की खबर को शेयर करते हुए ये बातें लिखी हैं। उन्होंने एक व्यवसायिक अखबार की एक रिपोर्ट के आधार पर पीएम मोदी को घेरा है। उक्त रिपोर्ट में लिखा है, ‘ऐसा माना जा रहा है कि अडानी समूह ने सोलर मैन्युपैâक्चरिंग प्रोजेक्ट के लिए चीन से करीब ३० इंजीनियरों को लाने के लिए केंद्र सरकार से मंजूरी मांगी है। ये इंजीनियर अडानी समूह को सौर उपकरणों की एक मजबूत और स्वदेशी वितरण व्यवस्था बनाने में मदद कर सकते हैं। कंपनी ने अपने प्रस्तुतिकरण में वीजा के लिए आठ विदेशी नागरिकों का उल्लेख किया है। सभी चीन से हैं।’ इस मामले में जयराम रमेश ने कहा है, ‘प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव पीएलआई स्कीम के तहत करदाताओं के पैसों का बड़ा हिस्सा पाने वाले अडानी समूह ने कथित तौर पर अपने सोलर मैन्युपैâक्चरिंग प्रोजेक्ट में मदद के लिए आठ चीनी कंपनियों का चयन किया है और ३० चीनी श्रमिकों के लिए वीजा जारी करने की विशेष अनुमति मांगी है।’ कांग्रेस नेता रमेश ने तंज कसते हुए कहा कि ये सहयोग आत्मनिर्भरता के नाम पर हो रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘भारत को चीन पर निर्भरता से मुक्त करने के लिए उचित रणनीति बनाने का समय आ गया है, और यह सुनिश्चित करने का समय आ गया है कि करदाताओं के पैसे से चीनी कंपनियों को लाभ न पहुंचे। राष्ट्रीय हित से ज्यादा अपने दोस्तों को प्राथमिकता देना प्रधानमंत्री का यह स्वभाव हो सकता है, लेकिन इसे राष्ट्रीय नीति नहीं बनने दिया जा सकता है।’

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