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ड्रैगन की फिर घटिया चाल … भारत के खिलाफ परोक्ष व्यापार युद्ध किया शुरू …चीन ने रोकी जरूरी सामानों की सप्‍लाई

-मौजूदा स्थितियों में रूस नहीं कर पाएगा मदद
सामना संवाददाता / नई दिल्‍ली
चीन ने बिना कुछ बोले भारत के खिलाफ व्‍यापार युद्ध छेड़ दिया है। वह जरूरी सामानों और मशीनों के निर्यात पर रोक लगा रहा है। वर्तमान में चीन की घटिया चाल से यह कहना गलत नहीं होगा। उधर थिंक टैंक जीटीआरआई का मानना है कि भारत को चीन पर निर्भरता कम करने की जरूरत है। इसके लिए जापान और दक्षिण कोरिया के साथ साझेदारी मजबूत करनी होगी। दरअसल, चीन का भारत को जरूरी सामानों की सप्‍लाई रोकना भारत की अर्थव्यवस्था और उत्पादन प्रक्रिया पर गहरा असर डाल सकता है। कई क्षेत्रों में चीन एक प्रमुख सप्‍लायर है। ऐसे में इस तरह के कदम से उत्पादन लागत बढ़ सकती है। घरेलू बाजार में महंगाई भी बढ़ने की आशंका है।
भारत का सबसे भरोसेमंद दोस्‍त रूस भी शायद इसमें ज्‍यादा मदद न कर पाए। रूस और चीन के बीच बढ़ते संबंध रूस के लिए भारत को बिना किसी शर्त के समर्थन देने में बाधा बन सकते हैं। इसके अलावा रूस की वर्तमान वैश्विक परिस्थितियां उसे भारत को उतना व्यापक समर्थन देने की अनुमति नहीं देती जितना भारत चाहता है। यूक्रेन युद्ध के चलते रूस पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का प्रभाव उसकी अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। इससे उसकी वैश्विक व्यापार क्षमता सीमित हो गई है। थिंक टैंक जीटीआरआई के अनुसार, चीन पर निर्भरता कम करने के लिए भारत को जापान और दक्षिण कोरिया के साथ साझेदारी मजबूत करनी होगी। भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स, सोलर पैनल और ईवीएस के लिए हाई-क्‍वालिटी वाले कलपुर्जे इन देशों से लेने चाहिए। जीटीआरआई का मानना है कि चीन के निर्यात प्रतिबंध उसकी ट्रेड वॉर रणनीति का हिस्सा हैं। चीन भारत की ओर से चीनी निवेश और वीजा पर लगाए गए प्रतिबंधों का जवाब दे रहा है। इससे भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स, सोलर और ईवी कंपनियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

जासूसी कर रही हैं चीनी कंपनियां?
चीन की कंपनियां डेटा ट्रांसफर को लेकर सवालों के घेरे में आती रही हैं। भारत समेत कई देशों में चीनी कंपनियों पर आरोप लगे हैं कि वे लोगों का डेटा चीन भेजती हैं। इसके चलते काफी चीनी कंपनियों पर बैन भी लगा है। हाल में ही जानकारी सामने आई है कि टिकटॉक, शीन, शाओमी समेत ६ कंपनियों ने यूरोपीय लोगों का डेटा चीन भेजा है।

इस लड़ाई में चीन को भी नुकसान
भारतीय कंपनियों को सामानों की सप्‍लाई में देरी और रुकावटों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि चीन कलपुर्जों और मशीनरी का निर्यात रोक रहा है। जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के साथ साझेदारी से भारत अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है। उच्च-गुणवत्ता वाले कलपुर्जे मिलने से भारत को चीन पर कम निर्भर रहना पड़ेगा।

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