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शिंदे राज में मंडराया पेयजल का संकट  … पिछले साल से भी है भीषण होगी अवस्था

१,५०० गांवों में पानी की भयंकर किल्लत
राज्य में अभी से शुरू हुई ५५१ टैंकरों द्वारा जलापूर्ति
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
शिंदे सरकार के राज में प्रदेश की जनता पर पेयजल संकट का साया अभी से ही मंडराने लगा है। पेयजल को लेकर इस साल बीते साल से भी भीषण तस्वीर सामने आने लगी है। पिछले साल कम बारिश के कारण इस साल फरवरी की शुरुआत में ही पानी की कमी की समस्या से जूझना शुरू हो गया है। आलम यह है कि अभी से ही ग्रामीण इलाकों में टैंकरों की मांग बढ़ गई है। मौजूदा समय में १,५०० गांवों और वाड़ियों में ५११ टैंकरों से जलापूर्ति की जा रही है।
राज्य में पिछले साल जनवरी के अंत में टैंकरों से पालघर तालुका के तीन आदिवासी पाड़ों में पानी की आपूर्ति करनी पड़ी थी, लेकिन इस साल बारिश कम होने से छोटे-छोटे जलस्रोत सूखने लगे हैं। इसके अलावा जलाशयों में जल भंडारण भी कम होने लगा है। मराठवाड़ा में केवल ३१ प्रतिशत ही जल भंडारण उपलब्ध है। ठंड के कारण पिछले एक महीने से फसलों के लिए पानी की मांग कम थी, लेकिन अब जबकि ठंड कम होने लगी है तो फसलों की सिंचाई के लिए पानी की मांग बढ़ने लगी है। इसी तरह ग्रामीण इलाकों में छोटे नाले और नदी के जलस्रोत बंद होने से टैंकरों की मांग बढ़ रही है।
गांव और वाड़ियों में टैंकर से हो रही जलापूर्ति
सूत्रों के मुताबिक, इस समय प्रदेश में स्थित ४५६ गावों और १,०८७ वाड़ियों में ५११ टैंकरों से जलापूर्ति हो रही है। इसमें से केवल ८७ टैंकर ही राज्य सरकार के हैं, जबकि अन्य टैंकर निजी हैं। महाराष्ट्र में सबसे अधिक जलाशय नासिक जिले में है। यहां भी १२३ टैंकरों से १२८ गांवों और २५५ पाडों में जलापूर्ति की जा रही है। इसी तरह छत्रपति संभाजीनगर जिले में ११० गांवों और वाड़ियों में १०५ टैंकरों से जलापूर्ति की जा रही है। सातारा जिले में भी ४० और सांगली में ४३ टैंकरों से जलापूर्ति शुरू है। इसके साथ ही अन्य जिलों में भी टैंकर से जलापूर्ति की मांग बढ़ने लगी है।
विभागवार जल भंडारण
नागपुर विभाग के विभिन्न जलाशयों में ६२ प्रतिशत, अमरावती विभाग में ६५ प्रतिशत, नासिक विभाग में ५८ प्रतिशत, पुणे विभाग में ५६ प्रतिशत और कोकण के विभिन्न जलाशयों में ६८ प्रतिशत जल भंडारण है।

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