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ड्रम प्लास्टिक का

नींद उड़ गई है जब से
लाई वो घर में ड्रम प्लास्टिक का
मैं खाता नहीं! फिर क्यूं ले आए
वो चिकन-चाकू, औ ड्रम प्लास्टिक का
पुरानी हो गई तालीम लकीरें पढ़ने की!
नया है हथेली काटने का हुनर!
बाज़ार में आ गया ड्रम प्लास्टिक का
अजब चलन है तेरे शहर में तिजारत का
सीमेंट फ्री मिल रहा, गर खरीदो ड्रम प्लास्टिक का
कैसा पानी, कितना अनाज रखोगे इसमें
मुझे हरदम घूरता सा लगे हैं ड्रम प्लास्टिक का।
-डाॅ. रवींद्र कुमार

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