ड्राइविंग परीक्षण में ७० प्रतिशत आवेदक अयोग्य
सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य सरकार सड़क दुर्घटनाओं को नियंत्रित करने और सड़क हादसों में होने वाली मौतों को कम करने के लिए विभिन्न उपाय योजना लागू कर रही है। वर्तमान में पुलिस वाहन चालकों का नियमित रूप से अल्कोहल सेवन का परीक्षण करती है। लेकिन अब अल्कोहल के साथ-साथ ड्रग्स सेवन की भी जांच की जाएगी। पुलिसकर्मियों को जल्द ही ड्रग्स परीक्षण मशीनें उपलब्ध कराई जाएंगी। यह जानकारी परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने विधानसभा में प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान दी। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के विधायक आदित्य ठाकरे व अन्य सदस्यों द्वारा राज्य में बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं के संबंध में प्रश्नोत्तर के माध्यम से सवाल उपस्थित किए गए थे। सदस्यों के सवालों का जवाब देते हुए परिवहन मंत्री ने उक्त जानकारी दी।
महाराष्ट्र में पिछले वर्ष की तुलना में दुर्घटनाओं की दर में ०.०२ प्रतिशत की कमी आई है, जिससे मृत्यु दर भी घटी है। सरकार ने जिला योजना समिति की १ प्रतिशत निधि को सड़क सुरक्षा के लिए आरक्षित किया है। इस निधि के माध्यम से सड़क सुरक्षा से संबंधित विभिन्न उपाय और योजनाएं लागू की जा रही हैं। गति नियंत्रण के लिए परिवहन विभाग द्वारा सख्त कदम उठाए जा रहे हैं, जिसके तहत २६३ इंटरसेप्टर वाहनों की खरीद की गई है। इसके अलावा, ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने के लिए कड़े नियम लागू किए गए हैं। राज्य में ३८ स्थानों पर स्वचालित ड्राइविंग परीक्षण शुरू किए गए हैं, जहां ७० प्रतिशत आवेदक अयोग्य पाए गए हैं। ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने की सटीकता बढ़ाने के लिए अब स्वचालित टेस्ट ट्रैक का उपयोग किया जाएगा। यातायात नियमों के उल्लंघन पर दंड लगाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का भी उपयोग किया जाएगा।
राज्य के ९ राष्ट्रीय राजमार्गों और २१,४०० किलोमीटर महत्वपूर्ण सड़कों, विशेष रूप से दुर्घटनाओं के लिए संवेदनशील स्थानों पर एकीकृत यातायात प्रबंधन प्रणाली (आईटीएमसी) स्थापित करने की योजना बनाई गई है। यह आईटीएमसी प्रणाली सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत लागू की जाएगी।