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सरकार के निशाने पर शराबी! …शराब पर टैक्स बढ़ाकर खाली खजाना भरने की योजना

सामना संवाददाता / मुंबई
विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राज्य सरकार ने लाडली बहन योजना समेत कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं। इसका असर राज्य के खजाने पर पड़ना स्वाभाविक है। महाराष्ट्र के शराब पर टैक्स लगाकर राज्य के खजाने पर पड़ रहे दबाव को कम करने की योजना है। क्योंकि राज्य सरकार सरकारी खजाने पर बोझ कम करने के लिए कुछ उपाय तलाश रही है। इसके तहत राज्य की महायुति सरकार आने वाले दिनों में शराब और सिगरेट पर टैक्स बढ़ा सकती है।
राज्य सरकार ने राजस्व के माध्यम से राज्य की आय बढ़ाने के नए तरीके खोजने के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति द्वारा राजस्व उत्पन्न करने के एक नए तरीके के रूप में शराब के उत्पादन और बिक्री की संभावना का अध्ययन किया जाना है।
आवास विभाग के अपर सचिव की अध्यक्षता में समिति राजस्व सृजन के लिए शराब नीति का अध्ययन करेगी। साथ ही समिति में वित्त और राज्य उत्पाद शुल्क विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, राज्य जीएसटी आयुक्त और उत्पाद शुल्क आयुक्त समिति के सदस्य होंगे। इन सभी को मिलकर शराब उत्पादन, शराब बिक्री लाइसेंस, उत्पाद शुल्क और राज्यों द्वारा अपनाए गए अन्य राजस्व जुटाने के तरीकों और नीतियों का अध्ययन करने का काम सौंपा जाएगा। उम्मीद है कि समिति राज्य का राजस्व बढ़ाने के उपायों पर सिफारिशें करेगी। इसके साथ ही राज्य सरकार की मंशा अवैध शराब की बिक्री पर रोक लगाने और अधिक से अधिक संख्या में शराब बिक्री लाइसेंस वितरित करने की है।
विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक पार्टियों ने बड़े-बड़े एलान किए। महायुति ने भी चुनाव से पहले कई वादे किए थे। लाडली बहन और ऐसी अन्य योजनाओं की भी घोषणा की गई। अब राज्य में महायुति सरकार बनने के बाद उन वादों को पूरा करना है। अगर हम लाडली बहन योजना का उदाहरण लें तो इस योजना के लिए प्रतिवर्ष ४६ हजार करोड़ रुपए के निधि की आवश्यकता होती है। इसमें लाडली बहन योजना के तहत दी जाने वाली राशि को १,५०० से बढ़ाकर २,००० रुपए करने के लिए राज्य सरकार को ६०० करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च करने होंगे। इसके अलावा सरकार को मुफ्त बिजली और कर्ज माफी जैसी योजनाओं को लागू करने के लिए भी पैसे की जरूरत है। ऐसे में राज्य पर कर्ज ८ लाख करोड़ के करीब पहुंच गया है इसलिए राज्य सरकार को अपना राजस्व बढ़ाने की जरूरत है।

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