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राज्य सरकार की ही मेहरबानी से मेडिकल छात्रों की जिदंगी हो रही है अंधकारमय

-१४ कॉलेजों में नहीं हैं स्थाई डीन…प्रोफेसरों के ४५ फीसदी पद रिक्त

सामना संवाददाता / मुंबई

महाराष्ट्र में जब से शिंदे की सत्ता आई है, तभी से केवल स्वास्थ्य ही नहीं सभी यंत्रणा डगमगा गई है। इस सरकार की मेहरबानी से स्वास्थ्य प्रणाली सबसे दयनीय स्थिति में पहुंच गई है। जानकारी के अनुसार, प्रदेश के २५ में से करीब १४ मेडिकल कॉलेजों में स्थाई डीन न होने से यहां का कामकाज रामभरोसे ही चल रहा है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसरों के ४५ फीसदी पद खाली होने से छात्रों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है। दूसरी तरफ अस्पतालों में नर्सों और तकनीशियनों के पद भी रिक्त हैं। इतना ही नहीं कई जरूरी उपकरण भी नदारद हैं, जिस पर इस सरकार का बिल्कुल भी ध्यान नहीं है।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने बिना पर्याप्त तैयारी के मनमाने ढंग से हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज शुरू करने का निर्णय लिया है। दूसरी तरफ पहले से कार्यान्वित मेडिकल कॉलेजों में पर्याप्त प्रोफेसर नहीं हैं। इतना ही नहीं चिकित्सा शिक्षा प्राप्त करनेवाले छात्रों के लिए न तो आवश्यक उपकरण हैं और न ही आवास व सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था है। इसके साथ ही मुंबई में सिर्फ एक कॉलेज में १०० की जगह ५० एडमिशन क्षमता को मंजूरी दी गई है। ऐसे में अब राज्य में मेडिकल कॉलेजों की संख्या २६, जबकि इनमें कुल प्रवेश क्षमता ४,७८० से बढ़कर ४,८३० हो गई है।

इतने पद हैं रिक्त
बताया गया है की मौजूदा २५ मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसरों के करीब ४५ फीसदी पद खाली है। इस तरह असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के कुल स्वीकृत पद ३,९२७ हैं, जिनमें से १,५८० पद खाली हैं। सूत्रों के मुताबिक,८ नर्सों और तकनीशियनों के ९,५५३ पदों में से ३,९७४ पद खाली हैं। इसी प्रकार विजन २०३५ तैयार करने का आदेश दिया गया था। विशेषज्ञों की एक समिति उनके ही आदेशों को धता बताते हुए चिकित्सा शिक्षा विभाग ने आज तक इसके लिए आम समिति की भी नियुक्ति नहीं की है।

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