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बिल्ली के भाग्य से छींका टूटा, गले की फांस से दामन छूटा … हो गई ‘ईडी’ सरकार के ‘मन की बात’! …चुनाव आयोग ने रोकी ‘लाडली’ योजना की ‘सौगात’

सामना संवाददाता / मुंबई
महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए ‘ईडी’ सरकार ने ‘लाडली बहन’ योजना शुरू की है। मगर इस योजना में इतना पैसा जा रहा है कि सरकार के पास फंड की कमी हो गई है। इससे दूसरी योजनाएं भी प्रभावित हो रही हैं क्योंकि सरकार ने उनका फंड ‘लाडली बहन’ योजना की ओर मोड़ दिया है। ऐसे में ‘ईडी’ सरकार की हालत ऐसी हो गई थी कि उसे यह योजना न तो निगलते बन रही थी और न उगलते। ऐसे में बिल्ली के भाग्य से छींका टूट गया और ‘ईडी’ सरकार के ‘मन की बात’ हो गई। चुनाव आयोग के आदेश पर इस योजना पर फिलहाल रोक लगा दी गई है।

नवंबर का पैसा बंटने के बाद
‘लाडली बहन’ योजना पर आयोग ने लगाई लगाम!

गत जुलाई में जब ‘ईडी’ सरकार को आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी लुटिया डूबती नजर आने लगी तो आनन-फानन में यह योजना शुरू की गई।

चुनाव आयोग के आदेश पर राज्य सरकार ने ‘लाडली बहन’ योजना पर लगाम लगा दी है। महाराष्ट्र में चुनाव घोषित हो गए हैं और आचार संहिता लागू हो जाने के कारण इस योजना को रोका गया है। इससे यह बात साफ हो गई है कि ‘ईडी’ सरकार की यह योजना वोटरों को प्रभावित करनेवाली है। वैसे भी जब ‘ईडी’ सरकार बनी थी, तब यह योजना शुरू नहीं हुई थी, बल्कि गत जुलाई में जब ‘ईडी’ सरकार को आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी लुटिया डूबती नजर आने लगी तो आनन-फानन में यह योजना शुरू की गई।
बता दें कि ‘ईडी’ सरकार इस योजना के तहत हर महीने १,५०० रुपए गरीब महिलाओं को देती है। योजना के तहत राज्य में करीब ढाई करोड़ महिलाओं को पैसे देने की बात कही जा रही है। ऐसे में सवाल है कि क्या राज्य में महिलाओं की इतनी बड़ी संख्या गरीब है? अगर उनके पति और परिवार को भी जोड़ दिया जाए तो यह संख्या १० करोड़ के करीब पहुंचती नजर आती है। हालांकि, दूसरी तरफ सरकारी आंकड़े की तरफ देखा जाए तो राज्य में दो करोड़ गरीब बताए जाते हैं। ऐसे में साफ है कि वोटरों को लुभाने के लिए ‘लाडली बहन’ योजना के तहत इतनी बड़ी संख्या में पैसे बांटे जा रहे हैं। गौरतलब है कि इस योजना पर सरकार के ४६ हजार करोड़ रुपए खर्च होने हैं। राज्य सरकार के पास पैसे हैं नहीं और वह दूसरी योजनाओं का फंड ‘लाडली बहन’ योजना की ओर डायवर्ट करके पैसे बांट रही है। इसके अलावा सरकार ने बड़ी मात्रा में कर्ज भी लिया है, जिससे राज्य के ऊपर कर्ज तेजी से बढ़ते हुए ८ लाख करोड़ रुपए का आंकड़ा पार कर गया है।

 

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