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चुनाव में आयुक्त को आई मनपा अस्पतालों की याद …रोगियों की देखभाल में प्रौद्योगिकी के उपयोग पर अब जाकर लिया फैसला

सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव को लेकर उठा-पटक तेज हो गई है। इसी क्रम में मुंबई मनपा आयुक्त व प्रशासक आए दिन विभिन्न विभागों में मौजूद खामियों को गिना रहे हैं। कुछ दिन पहले शिक्षा व अन्य विभागों की कमियों को उजागर करने के बाद कल मनपा अस्पतालों की खामियों की भी याद आ गई और उन्हें भी सबके सामने रख दिया। उन्होंने माना कि अस्पतालों में गंदगी और दुर्गंध का साम्राज्य है, जिसे दूर करने पर जोर देना होगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अस्पतालों में प्रबंधन के लिए रोगी देखभाल में प्रौद्योगिकी का प्रभावी उपयोग करना जरूरी है।
उल्लेखनीय है कि मुंबई मनपा के केईएम, सायन, नायर और कूपर जैसे प्रमुख अस्पतालों के साथ ही १६ उपनगरीय, २७ प्रसूति, पांच विशेष अस्पतालों में हजारों की संख्या में मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं। मनपा के केईएम, सायन और नायर जैसे बड़े अस्पतालों में मुंबई और महाराष्ट्र से ही नहीं, बल्कि देश के विभिन्न राज्यों से मरीज आकर उपचार कराते हैं। इतनी ख्याति के बावजूद मनपा अस्पताल दुर्दशा की मार झेल रहे हैं। अस्पतालों में चारों तरफ गंदगी पैâली रहती है। इससे मरीजों और उनके परिजनों को दुर्गंध झेलनी पड़ती है। सायन अस्पताल के सभागार में आयोजित स्वास्थ्य कर्मचारी संवाद कार्यक्रम में मनपा आयुक्त व प्रशासक भूषण गगरानी ने कहा कि स्वास्थ्य प्रणालियों को यह सुनिश्चित करने के लिए समन्वय करना चाहिए कि अस्पताल में सेवाएं प्रदान करते समय मरीजों के साथ कम से कम रिश्तेदार मौजूद रहें।
अस्पतालों की छवि है खराब
मनपा आयुक्त ने छिपे तौर पर माना कि रोगी देखभाल को लेकर मनपा अस्पतालों की छवि बहुत ही खराब है। इसलिए उन्होंने कहा कि आम जनता के बीच मनपा की रोगी देखभाल की छवि को बेहतर बनाने के लिए और अधिक प्रयास किए जाने चाहिए। इसलिए अस्पताल में अपनी जिम्मेदारियां अच्छे से निभाने के लिए आया, वार्डबॉय, सफाई कर्मचारियों की जरूरत होती है। अस्पताल के शौचालय नियमित उपयोग में हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यहां स्वच्छता को सर्वोच्च प्राथमिकता देना जरूरी है।

स्वास्थ्यकर्मियों का व्यवहार नहीं रहता सही
अतिरिक्त आयुक्त डॉ. विपिन शर्मा ने बिना बोले यह स्पष्ट कर दिया कि स्वास्थ्यकर्मियों का व्यवहार मरीजों और उनके परिजनों के साथ सही नहीं रहता है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा देखभाल पाने के लिए मरीज और उनके रिश्तेदार अस्पतालों से गुणवत्तापूर्ण उपचार की उम्मीद करते हैं। ऐसे में पहले से पीड़ित रोगियों और उनके रिश्तेदारों की पीड़ा को कम करने का प्रयास स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों को करना चाहिए।

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