– बेरियम, सल्फर, कॉपर रसायनों का होता है प्रयोग
सामना संवाददाता / मुंबई
चेंबूर में हुए परीक्षण में इको-फ्रेंडली पटाखों का ध्वनि स्तर ६० से ९० डेसिबल के बीच दर्ज किया गया। इसके साथ ही इन पटाखों की आवाज नियमों के अनुसार सीमित थी, लेकिन इनमें बेरियम, सल्फर और कॉपर जैसे खतरनाक रसायन पाए गए। ऐसे में यह साफ हो गया है कि जो इको-फ्रेंडली पटाखे जोर-शोर से बेचे जा रहे हैं, वे भी पर्यावरण और इंसानों के लिए घातक हैं।
उल्लेखनीय है कि हर साल महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और आवाज फाउंडेशन दिवाली के दौरान बेचे जाने वाले इको-फ्रेंडली पटाखों पर शोर के स्तर को नियंत्रण में रखने के लिए ध्वनि परीक्षण करते हैं। इसके तहत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मंगलवार को चेंबूर के ‘आरसीएफ’ मैदान में विभिन्न पटाखों के शोर के स्तर को मापा। साथ ही इन पटाखों में मौजूद केमिकल की जांच ‘आवाज फाउंडेशन’ द्वारा की गई। इस जांच में पाया गया कि इको फ्रेंडली पटाखों में बेरियम, सल्फर और कॉपर जैसी पर्यावरण के लिए खतरनाक धातुएं मौजूद हैं। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने बेरियम समेत केमिकल युक्त पटाखों पर पर बैन लगा दिया है। बेरियम आतिशबाजी में इस्तेमाल होने वाला बेहद खतरनाक रसायन है। वर्ष २०१८ में देश में बेरियम और बेरियम साल्ट पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। फिर भी इसका प्रयोग पटाखों में खूब किया जाता है। हालांकि, पटाखों में रसायनों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, लेकिन इको फ्रेंडली पटाखों में इनका इस्तेमाल किया जा रहा है। ‘आवाज फाउंडेशन’ की सुमैरा अब्दुल्ली ने कहा कि यह मामला गंभीर है।
एनीमिया, बेरियम से होती है सांस की तकलीफ
आतिशबाजी से प्रदूषण बढ़ता है। यदि बेरियम तत्व शरीर में प्रवेश कर जाते हैं तो वे तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करते हैं। इससे कंपकंपी, कमजोरी, सांस लेने में दिक्कत, लकवा जैसी गंभीर समस्याएं होने का खतरा रहता है। बेरियम आंखों, पाचन तंत्र, श्वसन तंत्र और त्वचा को भी प्रभावित करता है। इतना ही नहीं यह पेट और आंतों की समस्याओं के साथ-साथ चेहरे को सुन्न कर देता है। साथ ही मांसपेशियों में कमजोरी, उच्च या निम्न रक्तचाप और सांस लेने में कठिनाई का कारण बन सकता है। बेरियम लवण श्वसन संबंधी परेशानी का कारण बनते हैं। इससे फेफड़ों की समस्या हो सकती है। प्रदूषण बढ़ाने वाले पटाखों के विकल्प के तौर पर इको-फ्रेंडली पटाखे बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध कराए गए हैं। हालांकि, अब पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों के मुताबिक यह भी खतरनाक है।
एक पटाखे की आवाज थी १२५ डेसिबल
जांच में सभी पटाखों की आवाज धीमी पाई गई। हर पटाखे की आवाज ६० से ९० डेसिबल के बीच रही। लेकिन एक पटाखे की ध्वनि सीमा १२५ डेसिबल तक थी। इस साल हुए परीक्षण में पहली बार सभी पटाखों की आवाज को म्यूट किया गया है। इस बीच आवासीय क्षेत्रों में शोर की सीमा ५५ डेसिबल और साइलेंस जोन में ४५ डेसिबल है। यही सीमा रात १० बजे से सुबह ६ बजे तक क्रमश: ५० और ४० डेसिबल है।