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अर्थशास्त्रियों ने साधा केंद्र सरकार की असफलता पर निशाना …आर्थिक सुधार में फेल हुई मोदी सरकार

अगले बजट में सुधारों पर अमल की सलाह
सामना संवाददाता / मुंबई
आर्थिक सुधार के मोर्चे पर मोदी सरकार असफल रही है। यही वजह है कि कुछ प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है और अगले बजट में कुछ सुधारों पर अमल करने की सलाह दी है।
बता दें कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कमजोर आर्थिक वृद्धि दर के बाद अर्थव्यवस्था को गति देने की मांग उठने लगी है। चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में देश के जीडीपी की वृद्धि दर कम होकर ५.४ प्रतिशत रह गई, जो पिछली सात तिमाहियों का निम्नतम स्तर है। डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार कहती हैं, ‘हमें लगता है कि कौशल विकास और रोजगार को बढ़ावा देने के प्रयासों पर सरकार की नजरें लगातार टिकी रहेंगी। इससे भारत में युवाओं की ताकत का लाभ उठाने, मांग एवं आपूर्ति को गति देने और आय बढ़ाकर खपत मजबूत करने में मदद मिलेगी।’ इस साल जुलाई में पेश बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रोजगार संबंधी प्रोत्साहनों और इंटर्नशिप कार्यक्रमों जैसे उपायों की घोषणा की थी। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आगामी बजट में एमएसएमई खंड के लिए समर्थन के उपाय और निर्यात की संभावनाओं एवं अत्यधिक श्रम की जरूरत वाले औद्योगिक संकुलों के लिए खास इंतजाम जारी रखने होंगे। केयरएज में मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा कहती हैं, ‘मेरा मानना है कि खपत बढ़ाने के लिए सरकार को कुछ प्रोत्साहनों की घोषणा करनी चाहिए। वित्त मंत्री पिछले बजट में किए सुधार के कुछ उपायों को आगामी बजट में भी पूरी शिद्दत के साथ जारी रखेंगी।’

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