धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
`ईडी’ २.० ने तुगलकी फरमान जारी करते हुए प्राइवेट प्री-प्राइमरी स्कूल चलाने वाले संचालकों को हक्का-बक्का कर दिया है। महायुति सरकार की ओर से जारी परिपत्र में स्पष्ट आदेश दिया गया है कि तीन से छह साल के बच्चे जिन प्राइवेट प्री-प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं, उनके संचालकों को सात दिनों में सरकारी वेबसाइट पर जाकर पंजीकरण कराना होगा। पंजीकरण की यह प्रक्रिया केवल सात दिनों के भीतर ही पूरी करनी होगी। इतना ही नहीं वेबसाइट पर ही प्राइवेट प्री-प्राइमरी स्कूलों को छह साल तक के बच्चों की जानकारी भी देनी होगी।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० के अनुसार, ५ + ३ + ३ + ४ शिक्षा प्रणाली का पालन किए जाने का जिक्र है। इसके तहत जहां छात्र अपनी नींव मजबूत करने में ५ साल, प्रारंभिक चरण में ३ साल, मध्य चरण में ३ साल और शेष ४ साल माध्यमिक चरण में बिताएंगे। इसे लेकर केंद्र सरकार की तर्ज पर ही राज्य सरकार ने राज्य पाठ्यक्रम रूपरेखा, आधारभूत स्तर तैयार किया है। राज्य पाठ्यक्रम रूपरेखा में स्पष्ट किया गया है कि ३ से ८ वर्ष के आयु वर्ग के प्रत्येक बच्चे को जल्द से जल्द मुफ्त, सुरक्षित, गुणवत्तापूर्ण, उपयुक्त वातावरण प्रदान करने वाली प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा सुगमता से उपलब्ध कराना है। शिक्षा विभाग की ओर से दावा किया गया है कि मौजूदा समय में ३ से ६ साल के बच्चों को आंगनवाड़ी, बालवाड़ी, स्कूलों से जुड़े पूर्व-प्राथमिक और निजी पूर्व-प्राथमिक कक्षाओं के माध्यम से शिक्षा दी जाती है। महिला व बाल विकास विभाग के पास सरकारी और स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं की बालवाड़ी के साथ ही आंगनवाड़ी में पढ़नेवाले इस उम्र के बच्चों के पंजीकरण और उनके बारे में सारी जानकारियां हैं। हालांकि, निजी प्री-प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की आधिकारिक जानकारी वर्तमान में सरकार के पास उपलब्ध नहीं है।
निजी क्लासेस की संचालिका लक्ष्मी मौर्या ने कहा कि महायुति सरकार ने स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि पंजीकरण न करने वाले केंद्रों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस तरह का परिपत्र जारी कर केवल सरकार ने निजी केंद्रों को परेशान करने वाला तरीका ईजाद किया है। इसी के साथ ही यह सरकार निजी सेंटरों का दमन करने की कोशिश कर रही है।