आर्थिक तंगी में ३४,५०० कर्मचारी वरिष्ठ अधिकारी भी हैं बेखबर
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
ईडी २.० सरकार की तिजोरी इस कदर खाली हो चुकी है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान के अधिकारियों और कर्मचारियों के पिछले तीन महीनों का वेतन बाकी कर दिया गया है। फंड के अभाव में राज्य के विभिन्न जिलों में सेवारत ३४,५०० अधिकारियों और कर्मचारियों को अब आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। इस वजह से उनमें भारी गुस्सा है। जनवरी महीने का वेतन २० फरवरी को मिला, लेकिन फरवरी और मार्च का वेतन अप्रैल का पहला पखवाड़ा बीत जाने के बाद भी नहीं मिला है। इसके प्रति वरिष्ठ अधिकारी भी बेखबरी दिखा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम के तहत राज्य में गैर संचारी और संचारी रोगों की रोकथाम व नियंत्रण, बच्चों व महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण, पोषण, टीकाकरण, मातृ-शिशु स्वास्थ्य योजना, गर्भवती माताओं की सेवा, प्रसूति पश्चात सेवा, परिवार कल्याण सेवा, आपातकालीन सेवा जैसी विभिन्न स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती हैं। इसके तहत ३४,५०० अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है, जिसमें डॉक्टर, नर्स, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन और डेटा एंट्री ऑपरेटर्स शामिल हैं।
राज्य सरकार नहीं दे रही फंड
राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान के तहत स्वास्थ्य केंद्रों के अधिकारियों और कर्मचारियों का दो महीने से वेतन बकाया है। इसके लिए राज्य सरकार से फंड की मांग की गई है, लेकिन अभी तक फंड नहीं मिला है। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी जल्द फंड मिलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
वरिष्ठ अधिकारियों ने मूंदी आंखें
राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान के तहत कर्मचारियों के वेतन के लिए केंद्र सरकार ६० फीसदी और राज्य सरकार ४० फीसदी फंड देती है, लेकिन अभी वेतन में देरी का सटीक कारण क्या है इस बारे में राज्य के स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है।
महाराष्ट्र स्वास्थ्य सेवाओं के अपर निदेशक डॉ. स्वप्निल लाले ने कहा कि पूरे राज्य के अधिकारियों और कर्मचारियों का वेतन नहीं रुका है। सोलापुर, छत्रपति संभाजीनगर सहित कुछ जिलों में ही वेतन में देरी हुई है। वित्तीय वर्ष के अंत में कुछ तकनीकी दिक्कतें भी हैं। हालांकि, सटीक कारण वित्त विभाग से चर्चा के बाद ही बताया जा सकता है।