– जांच के लिए हाई कोर्ट में दायर हुई याचिका
सामना संवाददाता / मुंबई
घाती सरकार के कार्यकाल में मंदिरों के करोड़ों रुपए भी लूटे गए हैं। यह आरोप लगाते हुए एक जनहित याचिका हाई कोर्ट में दायर की गई है। इस जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि पर्यटन विकास के नाम पर मंदिरों को पर्यटन स्थल के रूप में दिखाकर करोड़ों रुपए की धनराशि का बंदरबांट किया गया है।
सेवानिवृत्त अतिरिक्त जिला न्यायाधीश संतोष तरले ने यह याचिका सुगंधा देशमुख के जरिए दायर की है। सरकार को आम जनता द्वारा भुगतान किए गए कर के पैसे से राजस्व प्राप्त होता है। इस पैसे का उपयोग नागरिकों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए किया जाना चाहिए। हालांकि, याचिका में चौंकानेवाला दावा किया गया है कि नासिक के महालक्ष्मी मंदिर में पर्यटन विकास के नाम पर राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों ने करोड़ों रुपए लूटे हैं। राजनीतिक दबाव के कारण निफाड, भैरवनाथ और कनीफनाथ मंदिरों को करोड़ों रुपए का फंड दिया गया। ये मंदिर सार्वजनिक ट्रस्ट नहीं हैं। इन मंदिरों को पर्यटन स्थल घोषित नहीं किया जा सकता। याचिका में मांग की गई है कि इन सभी मामलों की न्यायिक जांच कराई जाए। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि अदालत को इस मुद्दे पर संज्ञान लेना चाहिए और इस बात की जांच करनी चाहिए कि राज्य भर के मंदिरों को पर्यटक स्थल वैâसे घोषित किया गया।
सातबारा पर महालक्ष्मी मंदिर का
कोई नाम नहीं है
संपत्ति कार्ड, राजस्व रिकॉर्ड और सातबारा पर महालक्ष्मी मंदिर और उसके स्थान का नाम नहीं है। हालांकि, यहां विकास के लिए फंड दिया गया। मंदिरों के आस-पास चल रहा निर्माण अवैध है। नियोजन विभाग से इस निर्माण की अनुमति नहीं है। यह सरकारी पैसे का दुरुपयोग है। याचिका में कहा गया है कि इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
याचिका में की गई मांगें
महालक्ष्मी, भैरवनाथ और कनीफनाथ मंदिरों को पर्यटनस्थल के रूप में वैâसे घोषित किया गया और उसके बाद दी गई धनराशि की जांच जिला न्यायाधीश, न्यायिक अधिकारी या आयोग के माध्यम से की जानी चाहिए। इन मंदिरों को धन स्वीकृत करनेवाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। इन मंदिरों को किसी भी प्रकार का फंड नहीं दिया जाना चाहिए।