बिजली विभाग के करोड़ों रुपए हैं बकाया
किसी भी केंद्र के पास बिल चुकाने के पैसे नहीं
सुनील ओसवाल / मुंबई
वोटों के लिए मुफ्त रेवड़ी बांटने के चक्कर में राज्य के करीब ढाई हजार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अंधेरे में डूबने के कगार पर पहुंच गए हैं। इन स्वास्थ्य केंद्रों पर करोड़ों रुपयों के बिजली बिल बकाया हो चुके हैं और इन्हें भरने के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं। असल में पहले इलाज के लिए वहां १० रुपए की पावती लेनी पड़ती थी। इसके अलावा छोटी-मोटी जांच के लिए कुछ पैसे लिए जाते थे। इन पैसों से ये केंद्र बिजली का बिल भरते थे। तीन महीने पहले सरकार ने इसे मुफ्त कर दिया। इसके बाद से इनका संकट बढ़ गया है।
मिली जानकारी के अनुसार, सरकार ने गत अगस्त से केस पेपर के साथ मुफ्त इलाज की शुरुआत की है, इसलिए स्वास्थ्य केंद्रों के पास अब कोई आय नहीं बची है। राज्य के स्वास्थ्य केंद्रों और उपकेंद्रों के अधिकारी बकाया बिजली बिल के भुगतान के लिए जिला परिषद में चक्कर लगा रहे हैं। सरकार ने गत १५ अगस्त से राज्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के कुल २,४१८ संस्थानों में मरीजों को मुफ्त इलाज प्रदान करने का निर्णय लिया। इस पैâसले से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, ग्रामीण अस्पतालों, महिला अस्पतालों, जिला सामान्य अस्पतालों, उपजिला अस्पतालों में भी मुफ्त इलाज मिलना शुरू हो गया। पहले आउट पेशेंट पंजीकरण १० रुपए, इनपेशेंट शुल्क २० रुपए, आहार शुल्क १० रुपए, हीमोग्लोबिन परीक्षण २० रुपए, यूरिन टेस्ट ३५ रुपए आदि शुल्क लिया जाता था। यह बंद हो गया। इससे इन स्वास्थ्य केंद्रों के सामने वित्तीय संकट खड़ा हो गया। कुछ जगहों पर बिजली आपूर्ति बाधित होने की भी खबर है।