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ठेका बेचने में व्यस्त रही ईडी सरकार … ३ साल में ढाई गुना हुई मलेरिया की मार! …शिवसेना का आरोप

सरकार ने किया स्वास्थ्य व्यवस्था से खिलवाड़
सामना संवाददाता / मुंबई
राज में पिछले ढाई साल से शिंदे सरकार सिर्फ भ्रष्टाचार और वसूली में व्यस्त रही, राजनीति में मशगूल सरकार ने स्वास्थ्य व्यवस्था को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया था, घोषणाओं के अलावा सरकार ने कोई काम नहीं किया है। जिसका परिणाम यह है कि मलेरिया ने तेजी से पैर पसारा है। ताजा आंकड़ों के अनुसार, एमएमआर क्षेत्र में पिछले ३ सालों में मलेरिया बीमारी ढाई गुना ज्यादा बढ़ गई है। वर्ष २०२२ में यह आंकड़ा ४ हजार के आसपास था, जो अब बढ़कर १० हजार पर पहुंच गया है। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के पूर्व नगरसेवक सचिन पडवल ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इस सरकार ने मुंबई मनपा और एमएमआर क्षेत्र की स्वास्थ्य व्यवस्था को चौपट कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मनपा के इतना प्रचार-प्रसार करने के बावजूद आज भी लोगों के घर और सोसाइटियों से मलेरिया और डेंगू के ब्रीडिंग स्पॉट मिलते हैं। जैसे ही किसी इलाके में मलेरिया से प्रभावित मरीज मिलता है, वैसे ही कीटनाशक विभाग के अधिकारी उस क्षेत्र में जाकर ब्रीडिंग स्पॉट खोजते हैं और उसे नष्ट करते हैं। इस साल एमएमआर में मलेरिया से सबसे अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। आंकड़ों के अनुसार, एमएमआर में कुल १०,१०९ लोग मलेरिया से संक्रमित हुए हैं।
मुंबई में सबसे अधिक लोग प्रभावित 
राज्य के अन्य जिलों की तुलना में मलेरिया से मुंबई में सबसे अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। मनपा के अनुसार, जनवरी से अक्टूबर तक मुंबई में ६,४९१ लोग मलेरिया से प्रभावित हुए हैं। इन वर्ष भी मुंबई में मलेरिया के काफी मामले मिले हैं। उसके बाद गढ़चिरौली में ६,०६१ लोग मलेरिया से संक्रमित मिले हैं। गौरतलब है कि गत वर्ष मुंबई में ७,३१९ मामले मिले थे, जबकि २०२२ में ३,९८५ लोग ही मलेरिया से प्रभावित हुए थे। बाकी पनवेल में ७९१, ठाणे महानगरपालिका में ६४७, नई मुंबई में ५८६, रायगड में ४११, कल्याण में ३८२, मीरा-भायंदर में २९०, ठाणे में ११०, वसई-विरार में ८५, भिवंडी ७२, पालघर में ३० और उल्हासनगर में १५ मरीज मिले हैं।

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