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मनपा की तिजोरी पर ईडी सरकार की बेईमानी … विपक्षी विधायकों के फंड पर बैन! …सत्ता पक्ष को मिले रु. ५०० करोड़, विपक्ष को शून्य

मनपा की नीति के तहत मुंबई का हर विधायक ३५ करोड़ तक के विकास निधि का है पात्र
सामना संवाददाता / मुंबई
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में पिछले दो वर्षों से मनपा के चुनाव नहीं हुए हैं। ऐसे में शहर के विभिन्न इलाकों का विकास विधायकों पर निर्भर है। मगर मनपा का सारा कारभार इस समय ‘ईडी’ सरकार संभाल रही है और आलम यह है कि वह बेईमानी पर उतारू है। मनपा की नीति के अनुसार, मुंबई के विकास के लिए शहर का हर विधायक ३५ करोड़ रुपए तक की निधि का पात्र है। पर ‘ईडी’ सरकार के इशारे पर विपक्षी विधायकों के फंड पर अघोषित बैन लगा दिया गया है। सिर्फ सत्ता पक्ष के विधायकों को राशि दी गई है। जानकारी के अनुसार, अभी तक सत्ता पक्ष के विधायकों को ५०० करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं, जबकि विपक्ष को एक भी पैसा नहीं दिया गया है।
अंग्रेजी अखबार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की एक खोजी रिपोर्ट से पता चला है कि मनपा के खजाने का ताला तब खुलता है, जब विधायक सत्ताधारी पार्टी का होता है। जब विधायक विपक्ष का होता है तो यह बंद हो जाता है। मुंबई में कुल ३६ विधायक हैं। इन विधायकों में से २१ विधायक सत्ताधारी भाजपा और शिंदे गुट के हैं, जबकि १५ विधायक विपक्षी दलों से संबंध रखते हैं। अखबार को आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक, फरवरी २०२३ की पॉलिसी के तहत मनपा, विधायकों को विकास कार्यों के लिए फंड मांगने की अनुमति देती है। इस नीति के तहत सत्ता पक्ष के २१ विधायकों ने फंड मांगा है और उन्हें दिसंबर २०२३ तक यह अलॉट भी किया गया है। ठीक इसके उलट १५ विपक्षी विधायकों को मांगने पर एक भी पैसा नहीं दिया गया।

क्षेत्र के विकास के लिए
नहीं मिलेगी निधि!
अंग्रेजी अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने ‘ईडी’ सरकार के भेदभाव की कलई खोली है। मनपा का कार्यकाल कभी का खत्म हो चुका है पर सरकार मनपा का चुनाव नहीं करा रही है। ऐसे में ईडी सरकार ही मनपा का प्रशासन चला रही है। अब मनपा ने सत्ताधारी विधायकों को तो विकास के लिए फंड दिया है, पर विपक्षी विधायकों का फंड बैन कर दिया है।
अखबार ने विपक्ष के सभी १५ विधायकों से बात करके इस बात की पुष्टि की है कि क्या उन्होंने फंड के लिए आवेदन किया है और क्या प्रभारी मंत्रियों ने इसे मंजूरी दी? अगर पैसा मंजूर कर दिया जाता तो इसका इस्तेमाल विकास की विभिन्न योजनाओं में किया जाता। इनमें धारावी में एक नाले की मरम्मत से लेकर शिवड़ी में एक पार्क के सौंदर्यीकरण और सत्यनारायण चॉल में पेवर ब्लॉक लगाना शामिल है। इस संबंध में मनपा आयुक्त आईएस चहल की टिप्पणी अखबार को नहीं मिल सकी।
मनपा आमतौर पर २२७ चुने हुए पार्षदों के जरिए काम करता है। अगर मनपा चुनाव होते तो यह काम पार्षदों के जरिए ही करवाया जाता। लेकिन दो सालों से चुनाव न होने की वजह से १६ फरवरी २०२३ को मनपा ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें कहा गया कि शहर का विकास करने के लिए फंड मुंबई के ३६ विधायकों के जरिए अलॉट किया जाएगा। यह प्रस्ताव पास करने से पहले ४ फरवरी को मनपा में बजट पेश किया गया था। फरवरी २०२३ के प्रस्ताव के बाद अप्रूवल नोट में कहा गया, ‘विधायकों / सांसदों से उनके संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों में विभिन्न विकास कार्यों, बुनियादी ढांचे के कार्यों, सौंदर्यीकरण कार्यों आदि के लिए धन उपलब्ध कराने के लिए बड़ी संख्या में पत्र प्राप्त हुए हैं। इसलिए, १६ फरवरी, २०२३ को प्रशासक द्वारा इस नए प्रावधान के लिए मंजूरी दी गई है।’
प्रावधान के अनुसार, मनपा ने अपने क्षेत्र में आने वाले ३६ विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों में किए जाने वाले काम के लिए अपने ५२,६१९ करोड़ रुपए के बजट में से करीब २.५ प्रतिशत – १,२६० करोड़ रुपए अलग रखे। इस हिसाब से हर विधायक ज्यादा से ज्यादा ३५ करोड़ रुपए मांगने का हकदार था। हालांकि, फरवरी २०२३ से ३१ दिसंबर २०२३ तक १० महीनों के अंदर मनपा आयुक्त और प्रशासन आई एस चहल ने सत्ता पक्ष के २१ विधायकों को ५००.५८ करोड़ रुपए जारी किए, जबकि विपक्षी विधायकों को कोई पैसा नहीं दिया गया। मनपा के अधिकार क्षेत्र में महाराष्ट्र विधानसभा के ३६ विधायक आते हैं। इन विधायकों में से १५ भाजपा, छह शिंदे गुट और नौ शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के हैं। इसके अलावा चार कांग्रेस, एक एनसीपी और एक सपा विधायक भी मनपा क्षेत्र में आते हैं। मनपा की विशेष नीति के अनुसार, विधायकों की तरफ से फंड के लिए आने वाले आवेदनों को मंजूर करने और फिर क्लियर किए गए प्रस्तावों को मनपा को भेजने की जिम्मेदारी प्रभारी मंत्रियों को दी गई। इसके बाद फंड बांटा जाना था। इस नीति के लागू किए जाने से पहले विधायकों को मनपा के खजाने से पैसा दिए जाने का कोई प्रावधान नहीं था।
मनपा के प्रस्ताव के बाद सीएम एकनाथ शिंदे और मुंबई के दो प्रभारी मंत्रियों – मंगल प्रभात लोढ़ा (मुंबई उपनगर की २६ सीटों) और दीपक केसरकर (मुंबई सिटी की दस सीटों) ने विधायकों द्वारा फंड के लिए आने वाले आवेदनों को क्लियर करना शुरू कर दिया। सीएम और मंत्रियों द्वारा अप्रूवल मिलने के बाद मनपा ने भी फंड जारी करना शुरू कर दिया। बता दें कि महाराष्ट्र में हर जिले का एक प्रभारी मंत्री है, जो जिले में योजनाएं बनाने और विकास से संबंधित काम देखता है। अखबार द्वारा प्राप्त डॉक्यूमेंट्स से पता चलता है कि ११ मामलों में विपक्षी दलों विधायकों से लेकर प्रभारी मंत्रियों तक के फंड आवेदनों को मंजूरी और मनपा को भेजा जाना बाकी था। विपक्षी विधायकों द्वारा लिखे गए पत्रों से पता चलता है कि कुछ मामलों में फंड के लिए आवेदन मार्च २०२३ की शुरुआत में ही मंत्रियों को भेज दिए गए थे। दूसरी तरफ रिकॉर्ड बताते हैं, सत्ता पक्ष से संबंधित विधायकों के आवेदनों को मुख्यमंत्री और दो प्रभारी मंत्रियों द्वारा क्लियर कर दिया है। इनमें से कुछ तो सिर्फ एक हफ्ते से कुछ अधिक समय में ही मनपा के पास भेज दिए गए।

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