मुख्यपृष्ठनए समाचारखाद्य तेल में लगी आग, ३०% बढ़ा दाम

खाद्य तेल में लगी आग, ३०% बढ़ा दाम

६० % पाम तेल की खपत
१० % गिरी आवक
सामना संवाददाता / नई मुंबई
केंद्र सरकार ने पिछले साल १६ सितंबर को खाद्य तेल पर आयात शुल्क पांच फीसदी से बढ़ाकर २० फीसदी कर दिया था। इससे आयात शुल्क २५ फीसदी तक पहुंच गया। डॉलर में बढ़ोतरी और पाम तेल के आयात में दस फीसदी की कमी का असर खाद्य तेल की कीमत पर पड़ा है। इससे खाद्य तेल की कीमत में औसतन ३० फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस तरह की जानकारी अखिल भारतीय खाद्य तेल संगठन के सचिव व थोक विक्रेता तरूण जैन ने दी।
उल्लेखनीय है कि खुदरा बाजार में खाद्य तेल की कीमत में औसतन ३५ से ४५ रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई। इसके अलावा ढाई फीसदी सेस भी लगाया जाता है। खाद्य तेल की कीमत में इस बढ़ोतरी से महंगाई का दबाव अब ठीक हो गया है। केंद्र द्वारा शुरुआत में केवल पांच प्रतिशत आयात शुल्क लगाया गया था। हालांकि, पिछले साल १६ सितंबर से आयात शुल्क २० फीसदी से बढ़ाकर २५ फीसदी कर दिया गया था। इसका असर खाद्य तेल की बिक्री पर पड़ा है। आयात शुल्क में भारी बढ़ोतरी के कारण खाद्य तेल की कीमत ३० से ३५ रुपए प्रति लीटर और ४० रुपए से ४५ रुपए प्रति किलोग्राम बढ़ गई है।

देश में २५० लाख टन है खाद्य तेल की खपत
देश में हर साल २५० लाख टन खाद्य तेल की खपत होती है। उसमें से लगभग १४० से १५० टन तेल का भंडार आयात किया जाता है। फिलहाल, बाजार में सोयाबीन और पाम तेल मलेशिया, अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, यूक्रेन, रूस से आयात किया जाता है। देश से १०,००० से १५,००० मीट्रिक टन मूंगफली तेल का निर्यात किया जाता है। पिछले साल सितंबर में खाद्य तेल की कीमत ११० से ११५ रुपए प्रति लीटर थी, वहीं दिवाली के दौरान १२५ से १३० रुपए प्रति लीटर तक पहुंच गया, जबकि दिवाली के दौरान खुदरा बाजार में यह १४० से २६० रुपए प्रति किलो ग्राम तक पहुंच गया। जनवरी २०२५ में ये दरें १४० से ३५० रुपए प्रति लीटर तक पहुंच गर्इं। जैन ने यह भी बताया कि आयात शुल्क में बढ़ोतरी को कम करने के संबंध में एसोसिएशन लगातार पत्राचार कर रही है।

लीटर में खुदरा दर
तिल का तेल – ३५०
ग्राउंडनट ऑयल ३२०
सोयाबीन तेल १४० से १७०
सरसों का तेल १९०
सनफ्लॉवर ऑयल १८०
पॉम ऑयल १४०

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