हमारे देश में चुनाव और उनमें पैसों का इस्तेमाल वैसे कोई नई बात नहीं है। चुनाव कोई भी हो, पैसे, कीमती सामान और अन्य वस्तुओं के वितरण का मुद्दा हमेशा उठता रहता है। इस दफा भी केंद्रीय चुनाव आयुक्त राजीव कुमार द्वारा दी गई जानकारी के चलते हमेशा के इस विवाद पर फिर से प्रकाश पड़ गया है। मुख्य चुनाव आयुक्त के मुताबिक चुनाव आचार संहिता लागू होने और मतदान के बीच पुलिस और अन्य एजेंसियों द्वारा जब्त की गई संपत्ति में भारी बढ़ोतरी हुई है। फिलहाल दो राज्यों महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं। इन दोनों राज्यों में पुलिस और अन्य एजेंसियां अब तक ३४५ करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त कर चुकी हैं। फिर दोनों राज्यों में मतदान में अभी २०-२१ दिन बाकी हैं। इसलिए आशंका है कि वास्तविक मतदान तक यह संख्या सैकड़ों से हजार करोड़ तक पहुंच जाएगी। गंभीर बात यह है कि २०१९ के चुनाव में यही आंकड़ा १२२ करोड़ ६७ लाख रुपए था और इस बार अभी ही यह ३४५ करोड़ पर पहुंच गया है। फिर इस ३४५ करोड़ में से १७५ करोड़ की संपत्ति महाराष्ट्र की है। भले ही यह आंकड़ा चौंकाने वाला है, लेकिन महाराष्ट्र में सत्ता के लिए केंद्र और राज्य के शासकों द्वारा खेले जा रहे पैसे के खेल को देखते हुए इसे आश्चर्यजनक नहीं कहा जा सकता। मूलत: सत्ता में बैठे लोग ही ‘खोखा सरकार’ के नाम से बदनाम हैं। भले ही विश्वासघाती शासक कितने ही क्रोधित क्यों न हों, लेकिन १७५ करोड़ रुपए की जब्ती से पता चला है कि उस समय का लोकप्रिय नारा ‘पचास खोके, एकदम ओके’ कितना सार्थक था। इस विधानसभा चुनाव में पहले से ही कहा जा रहा है कि खोखेबाज सत्ताधारियों ने एक वोट के लिए पांच हजार रुपए की ‘बोली’ लगाई है। इस बीच पुलिस ने राज्य के अलग-अलग भागों में गाड़ियों में ले जाई जा रही करोड़ों रुपए की नकदी जब्त की। कुछ जगहों पर सत्ताधारी विधायकों के कार्यकर्ता भी जब्त रकम के साथ थे। इस नकदी के अलावा चुनाव आयोग की टीम ने एक जगह से साढ़े सात करोड़ का सोना भी जब्त किया है। सूबे के हुक्मरान ‘गद्दी’ बचाने के लिए कुछ भी करना चाहते हैं और इसीलिए उनकी कृपा से महाराष्ट्र में ये ‘पैसों का सैलाब’ आया है। पुलिस और अन्य एजेंसियों द्वारा अब तक जब्त की गई १७५ करोड़ की संपत्ति इसी सैलाब में तैर रही है। दिल्लीश्वरों ने झारखंड में भी हेमंत सोरेन सरकार को गिराने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इसलिए इन दोनों राज्यों में चुनाव के दौरान जब्त की गई रकम १२२ करोड़ से सीधे ३७५ करोड़ हो गई, इसमें आश्चर्य क्या है? महाराष्ट्र में मौजूदा सरकार की पैदाइश खोकों और केंद्रीय दमनचक्र व दबावतंत्र के चलते हुई है। महाराष्ट्र में चुनाव के दौरान अब तक जब्त की गई संपत्ति की कीमत १७५ करोड़ रुपए है। इसलिए पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों की नाक के नीचे से भाग निकले ‘खोकों’ का अंदाजा लगाना बेहतर है। महाराष्ट्र जैसे सुसंस्कृत राज्य में राजनीति का जितना अधोपतन आज तक नहीं हुआ था, उतना अब हुआ है। लेकिन जब से केंद्र में मोदी सरकार आई है, महाराष्ट्र समेत पूरे देश की राजनीति सत्ताधारियों की साम, दाम, दंड और भेद की नीति से गंदी हो गई है। महाराष्ट्र को कब्जाने की नीति के लिए असंवैधानिक ‘खोके सरकार’ स्थापित की गई और उसी को बरकरार रखने के लिए कारस्तानी जारी है। वास्तविक मतदान के लिए २०-२१ दिन शेष रहते हुए महाराष्ट्र में पुलिस और अन्य एजेंसियों द्वारा १७५ करोड़ की संपत्ति जब्त कर ली गई है। मौजूदा सरकार का यह १७५ करोड़ रुपए का ‘आईना’ है और इसे केंद्रीय चुनाव आयुक्त ने ही दिखाया है। महाराष्ट्र में हुक्मरानों की ‘चुनाव के लिए पैसों का सैलाब’ योजना किस तरह जोर-जोर से जारी है, इस बात को साबित करने के लिए इससे अधिक किस सबूत की जरूरत है?