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संपादकीय :रामभक्तों द्वारा सीताहरण!

भारतीय जनता पार्टी का हर दिन वस्त्रहरण हो रहा है, लेकिन सत्ताधारियों को न तो शर्म है और न ही डर। चंडीगढ़ मेयर चुनाव में भाजपा ने कमर का वस्त्र हटाकर सिर पर लपेट लिया है। चंडीगढ़ मेयर चुनाव में भाजपा की जीत बेईमानी और भीड़तंत्र की जीत है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र ने चंडीगढ़ में सिर शर्म से झुका लिया और गांधी जयंती के दिन ही लोकतंत्र की ये हत्या हुई। इसी दिन एक गोडसे ने महात्मा गांधी को गोलियां चलाई थीं और इसी दिन गोडसे के वंशजों ने चंडीगढ़ में लोकतंत्र की हत्या की। भारतीय जनता पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में भी ‘ईवीएम’ व चंडीगढ़ की तरह भीड़तंत्र के जरिए ‘अब की बार, चार सौ पार’ की दहाड़ को सार्थक करने जा रही है। चंडीगढ़ मेयर चुनाव में आप और कांग्रेस के पास २० वोट थे, जबकि भाजपा के पास १६ वोट थे। फिर भी पीठासीन अधिकारी ने भाजपा द्वारा मेयर की सीट जीतने की घोषणा की और उसके लिए आपके आठ वोट खारिज कर सभागृह से भाग गए। लोकतंत्र का यह ‘हॉरर शो’ चित्रित हो गया और दुनिया ने भाजपा का यह कायर रूप देखा। धोखाधड़ी और बेईमानी के बिना भाजपा मेयर का एक चुनाव नहीं जीत सकती, वह भाजपा पिछले दस सालों से केंद्र की सत्ता में है और २०२४ में दोबारा सत्ता में आने की बात कर रही है। चंडीगढ़ मेयर चुनाव में जो भयानक हुआ, वह इस बात का नमूना है कि २०२४ के चुनाव वैâसे होंगे और नतीजों के बाद संसद में क्या खलनायकी नाटक सामने आ सकता है। चंडीगढ़ में जो हुआ वह सीधे तौर पर भाजपा की दादागीरी है। अयोध्या में राम प्राण प्रतिष्ठा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने ११ दिन का उपवास रखा, जप-तप किया। राम के नाम पर उन्होंने अच्छी नौटंकी तो की, लेकिन राम का सत्यवचन उन्होंने अंगीकार किया ऐसा दिखाई नहीं देता। रामचंद्र वनवास के लिए निकले तब राम ने भरत को अयोध्या का राज्य लोकतांत्रिक मार्ग से चलाने का मंत्र दिया, लेकिन भाजपा जैसे नकली रामभक्तों ने राम के सत्य वचन और लोकतंत्र की हत्या ही कर दी। जिन लोगों ने चंडीगढ़ में एक चुनाव जीतने की ईर्ष्या में इतना जघन्य अपराध किया, वे देश का आम चुनाव जीतने के लिए इससे अधिक निचले स्तर तक जाएंगे। लोकतंत्र के बारे में चिंता पैदा करने वाली खबरें रोज सामने आ रही हैं। देश में ‘बैलेट पेपर’ पर यानी मतपत्र पर चुनाव कराने को लेकर दिल्ली में वकीलों का बड़ा आंदोलन चल रहा है। उन वकीलों ने साबित कर दिया कि भाजपा ‘ईवीएम’ घोटाले की मास्टरमाइंड है और भाजपा व मोदी घोटाला करके जीतते हैं। उत्तर प्रदेश के चंदौली में स्थानीय लोगों ने एक दुकान से ५०० ईवीएम का स्टॉक जब्त किया। यह दुकानदार भाजपा का पदाधिकारी है। असम के सिलचर में एक वाहन की तलाशी में १०० से अधिक ईवीएम मिलीं। वास्तव में यह मामला क्या है? निजी व्यक्तियों के पास इतनी सारी ‘ईवीएम’ कहां से आती हैं, इसकी जांच कोई नहीं करता। क्योंकि अब ऐसा लग रहा है कि इन ईवीएम में फेरबदल कर चुनाव में उनका इस्तेमाल किया जाएगा। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के नतीजे जनता का पैâसला नहीं बल्कि ईवीएम का नतीजा है और लोकसभा में ईवीएम का सबसे बड़ा ‘खेला’ होने जा रहा है। भारत का चुनाव आयोग लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है। संविधान ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग को विशेष अधिकार दिए हैं, लेकिन आज चुनाव आयोग सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के महासचिव की तरह काम कर रहा है। देशभर में दल-बदल को मान्यता दे रहा है। आयोग आयाराम, गयाराम, पलटूराम को भाजपा में शामिल होने के लिए आमंत्रित कर रहा है। यह सीधे तौर पर संविधान की दसवीं अनुसूची का उल्लंघन कर पार्टी तोड़ने वालों का सम्मान और सत्कार कर रहा है। लोगों को अब ईवीएम चुनाव प्रणाली पर भरोसा नहीं रहा। फिर भी चुनाव आयोग उस पर एक शब्द कहने के लिए तैयार नहीं। पूरी दुनिया में ‘ईवीएम’ पर बैन लगा दिया गया। उसकी वजह है सिर्फ अविश्वसनीय तकनीक, लेकिन भारत में उस भंगार व्यवस्था में कमलाबाई को घुसाकर चुनाव जीते जा रहे हैं। ‘बीईएल’ भारत सरकार की कंपनी है, जो ‘ईवीएम’ बनाती है। अब सरकार ने भाजपा के राजकोट (गुजरात) जिला अध्यक्ष मनसुखभाई खाचरिया को उस कंपनी का निदेशक नियुक्त किया है। भाजपा के चार ‘मनसुखभाई’ की नियुक्ति ‘ईवीएम’ बनाने वाली कंपनियों में करके इस मंडली ने लोकतंत्र के सामने चुनौती खड़ी कर दी है। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड एक सरकारी कंपनी है, जो ईवीएम मशीनों का निर्माण और वितरण करती है। यही कंपनी इस मशीन के अंदर चिप के लिए गुप्त कोड भी तैयार करती है। जब देश में लोग और राजनीतिक दल पहले से ही ‘ईवीएम’ को लेकर सशंकित हैं तो उन कंपनियों पर भाजपा पदाधिकारियों की नियुक्ति और वो अधिकारी भी गुजरात के हों, ये कोई संयोग नहीं बल्कि २०२४ के महाघोटाले की पूर्व तैयारी है। यह मनमानी है, सौ प्रतिशत तानाशाही है। चुनावी तंत्र को इस तरह भीड़तंत्र के जरिए कब्जे में लेकर सत्ता को हमेशा अपने ही हाथ में रखने का यह कृत्य हमारे महान राष्ट्र को कलंकित करने वाली है। चंडीगढ़ के मेयर चुनाव में भाजपा ने ‘अंडरवर्ल्ड’ तरीके से गुंडागर्दी ही की है। वहां पर सत्ता स्थापित करने के लिए कांग्रेस व आप जैसी पार्टियों को तोड़ने में सफलता नहीं मिली इसलिए ८ मतों को अवैध ठहराकर उन मत पत्रिकाओं को ही पीठासीन अधिकारी उठा ले गए। यह लोकतांत्रिकरूपी सीता का अपहरण है, जो चंडीगढ़ में खुलेआम हुआ। सीता का हरण करने के लिए अब रावण की आवश्यकता नहीं रही। तथाकथित रामभक्तों ने ही वह अपहरण कर लिया। अयोध्या में श्रीराम लौट आए, वे फिर से खिन्न होकर वनवास चले जाएंगे, ऐसे देश के हालात हैं।

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