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संपादकीय : देवाभाऊ, अभिनंदन!

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नए साल में काम की शुरुआत की और इसके लिए उन्होंने गढ़चिरौली जिले को चुना। जब मंत्रिमंडल के कई मंत्री मलाईदार महकमों और विशेष जिले के ही पालकमंत्री पद के लिए अड़े बैठे हुए थे, मुख्यमंत्री फडणवीस गढ़चिरौली पहुंचे और उस नक्सल प्रभावित जिले में विकास के एक नए पर्व की शुरुआत की। जब पूरा देश नए साल के स्वागत और जश्न में मगन था तब मुख्यमंत्री फडणवीस ने नए साल का पहला दिन गढ़चिरौली में बिताया। सिर्फ बिताया ही नहीं, बल्कि कई विकास परियोजनाओं का भूमिपूजन, उद्घाटन किया। कुछ परियोजनाओं का लोकार्पण किया। उस वक्त बोलते हुए उन्होंने गढ़चिरौली के विकास के नए दौर का हवाला दिया। यदि मुख्यमंत्री ने जो कहा वह सच है तो यह न केवल गढ़चिरौली, बल्कि कहना होगा कि यह पूरे महाराष्ट्र के लिए सकारात्मक होगा। मुख्य रूप से गढ़चिरौली जिले के आम लोगों, गरीब आदिवासियों के लिए यह दिन वास्तव में एक महत्वपूर्ण मोड़ होगा। आक्षेप इस बात पर लिया जाता है कि गढ़चिरौली जिले में नक्सलियों के कारण अब तक साधारण विकास भी नहीं हो सका है। इस बात में तथ्य है, लेकिन ऐसी जगहों पर अक्सर हुक्मरानों की इच्छाशक्ति ही महत्वपूर्ण साबित होती है। यदि मुख्यमंत्री फडणवीस ने इसे करके दिखाने का निर्णय लिया है तो यह खुशी की बात है। नक्सलवाद भारतीय समाज पर एक कलंक है। माओवाद के नाम पर जवान लड़के शरीर पर फौजी वर्दी चढ़ाते हैं। बंदूकें उठाते हैं। जंगल से सत्ता के खिलाफ एक समानांतर सशस्त्र सरकार चलाई जाती है। शोषकों के विरुद्ध और
साहूकारी के खिलाफ लड़ा़ई
का झांसा देकर बेरोजगारों को नक्सली आर्मी में भर्ती किया जाता है और सरकार के खिलाफ लड़ाया जाता है। ये सब किया जाता है माओवाद के नाम पर। गरीबी और बेरोजगारी के कारण, युवा ‘ताकत बंदूक की नली से आती है’ के माओवादी विचारों की ओर मुड़ा है। गढ़चिरौली जैसे कई इलाके विकास से वंचित रहे और यहीं पर नक्सली आंदोलन पनपा है। झटपट न्याय मिल जाने की वजह से गांव के गांव नक्सलवाद के समर्थक और आश्रयदाता बन गए। कश्मीर के युवा जिन वजहों से आतंकवादियों के समर्थक बने, उसी बेरोजगारी, गरीबी के कारण ही गढ़चिरौली जैसे जिलों में नक्सलवाद बढ़ा। नक्सलवाद यानी ‘क्रांति’ ये चिंगारी उनके दिमाग में भड़क उठी और उन्होंने भारतीय संविधान के खिलाफ यलगार कर दिया। उसके लिए हमारी राज्य व्यवस्था जिम्मेदार है। पढ़-लिखकर ‘पकौड़े’ तलने के बजाय, हाथों में बंदूकें लेकर आतंक मचाने, दहशत निर्माण करने की ओर युवाओं का झुकाव हुआ। इस संघर्ष में केवल खून ही बहा। पुलिस वाले भी मारे गए और ये तरुण बच्चे भी मारे गए। अब यदि वर्तमान मुख्यमंत्री गढ़चिरौली में इस तस्वीर को बदलने का निर्णय लेते हैं तो हम उन्हें बधाई देते हैं। गढ़चिरौली के पिछले पालकमंत्रियों ने भी कई बार ‘मोटरसाइकिल’ से यहां का दौरा किया था। हालांकि, तब यह आरोप उजागर हुए थे कि उनके दौरे वहां के आदिवासियों के विकास से अधिक इस बारे में थे कि कुछ खनन सम्राटों का प्रतिशत कैसे बढ़ाया जाए। बहरहाल, कुल मिलाकर यही लग रहा है कि ‘भावी पालक मंत्री’ फडणवीस गढ़चिरौली में कुछ नया करेंगे, वहां के आदिवासियों की जिंदगी बदल देंगे। हालांकि, गढ़चिरौली के विकास को अपने दावों के अनुरूप ही पूरा करने के लिए उन्हें गढ़चिरौली के विकास का ‘रोडमैप’ लागू करना होगा। गढ़चिरौली में अब तक ऐसा नहीं हुआ है।
नक्सलवादियों के खिलाफ
उन्हें उंगली नहीं दिखा सकते। उन्हें इन दोनों मोर्चों पर काम करते हुए नक्सलियों के विरोध को तोड़ना होगा और साथ ही विकास कार्यों को भी अंजाम देना होगा। फडणवीस की मौजूदगी में दुर्दम महिला नक्सली तारक्का समेत ११ नक्सलियों का समर्पण और साथ ही आजादी के बाद यानी ७७ साल बाद पहली बार चली अहेरी से गर्देवाड़ा तक एसटी बस, निश्चित तौर पर मुख्यमंत्री के ‘मिशन गढ़चिरौली’ के नजरिए को बयां कर रही है। मुख्यमंत्री फडणवीस ने गढ़चिरौली में ‘लॉयड मेटल्स एंड एनर्जी लिमिटेड’ के फौलाद पैâक्ट्री का भी उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री फडणवीस ने आश्वासन दिया कि अब से गढ़चिरौली को ‘स्टील सिटी’ का दर्जा मिल कर रहेगा। बेशक, इसके लिए उन्हें गढ़चिरौली को नक्सलियों के ‘फौलादी’ पंजे से पूरी तरह मुक्त कराना होगा। यदि मौजूदा मुख्यमंत्री गढ़चिरौली को ‘नक्सल जिला’ के बजाय ‘स्टील सिटी’ के रूप में नई पहचान देते हैं तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए। फडणवीस गढ़चिरौली को आखिरी नहीं बल्कि महाराष्ट्र के पहले जिले के तौर पर पहचान दिलाने की कोशिश करेंगे। यह गलत नहीं है। लेकिन गढ़चिरौली के विकास का यह ‘बीड़ा’ वहां की आम जनता और गरीब आदिवासियों के लिए ही उठाया है, किसी खनन सम्राट के लिए नहीं, यह कर दिखाने का ख्याल जरूर देवाभाऊ को रखना होगा। तभी उनका यह वादा सच होगा कि गढ़चिरौली के परिवर्तन की शुरुआत नए साल के सूर्योदय से शुरू हो गई है। हालांकि, बीड में बंदूक राज जारी है, लेकिन अगर गढ़चिरौली में संविधान का राज आ रहा है तो मुख्यमंत्री फडणवीस प्रशंसा के पात्र हैं!

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