लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान शुक्रवार को हुआ। २१ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की कुल १०२ सीटों के लिए यह मतदान हुआ। हालांकि भीषण गर्मी का असर मतदान प्रक्रिया पर जरूर पड़ा, लेकिन पहले चरण के मतदान ने ‘देश बदल रहा है’ वाली मानसिकता का आभास जरूर दिया। अभी छह चरणों का मतदान बाकी है। इन चरणों को पूरा करने में लगभग सवा महीने लगेंगे। लेकिन शुक्रवार के मतदान ने इस बात का पुख्ता अनुमान दे दिया है कि मतदाताओं की मानसिकता की हवा किस दिशा में बह रही है। देश के मतदाताओं ने २०१४ से भारत की गर्दन पर बैठे मोदी शासन के जुए को हटाने का पैâसला कर लिया है। इसकी झलक पहले चरण के मतदान से मिल गई है। तमिलनाडु की सभी ३९ सीटों पर शुक्रवार को मतदान हुआ। अन्य राज्यों में निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या उंगलियों पर गिनी जा सकती है। इसमें महाराष्ट्र के पूर्वी विदर्भ के पांच निर्वाचन क्षेत्र नागपुर, भंडारा-गोंदिया, गढ़चिरौली-चिमूर और चंद्रपुर शामिल थे। मध्य प्रदेश, राजस्थान, असम, पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर आदि राज्यों के कुछ महत्वपूर्ण मुकाबलों के नतीजे अब ‘ईवीएम’ में बंद हो गए हैं। हालांकि, जिस भारी उत्साह और एक बार फिर जैसे लहर का दावा किया गया था, वैसी तस्वीर १०२ में से एक भी निर्वाचन क्षेत्र में नहीं दिखाई पड़ी। लहर की बात तो दूर ४०० पर के नारों की साधारण लहर तक मतदान के पहले चरण में नहीं दिखाई दी। पहले दो घंटों में देशभर में मतदान प्रतिशत १२-१३ के भीतर रहा। कई राज्यों में यह ७ से १० फीसदी के बीच था। बाद में मतदान प्रतिशत बढ़ा, लेकिन इसे ‘लहर’ आदि नहीं कहा जा सकता। त्रिपुरा और प. बंगाल में मतदान के ७० प्रतिशत के आस-पास पहुंचा, इसके अलावा अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत हमेशा की तरह ही रहा। लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि मतदान ने एक अलग दिशा दिखाई। क्योंकि न तो मतदान केंद्र पर ज्यादा भीड़ थी और न ही मतदाताओं में उत्साह। यहां तक कि सत्तारूढ़ दल द्वारा सोशल मीडिया पर की गई हवा बाजी का भी प्रभाव १०२ में से एक भी निर्वाचन क्षेत्र में दिखाई नहीं दिया। भाजपा ही दोबारा सत्ता में आएगी, मोदी ही दोबारा प्रधानमंत्री बनेंगे, देश के मतदाता बस मोदी को वोट देने का इंतजार कर रहे हैं, एक ऐसा माहौल पिछले कुछ महीनों में देश में तैयार किया गया। लेकिन उस माहौल की झलक मतदान केंद्रों पर नहीं दिखी। मोदी कहते रहते हैं कि सत्ता में आने के बाद पहले १०० दिनों के लिए उनके पास एक योजना है। वे २०४७ के विकसित भारत के गुब्बारे भी हवा में छोड़ते रहते हैं। लेकिन यह तय है कि शुक्रवार को कई मतदान केंद्रों पर जो शांति दिखी उसने मोदी और उनकी पार्टी की नींद उड़ा दी होगी। पहले चरण के चुनाव का नतीजा तो ४ जून को ही पता चलेगा, लेकिन कुल मिलाकर तस्वीर यह है कि यह मतदान मोदी और उनकी पार्टी के ‘चार सौ पार’ के गुब्बारे में पिन चुभा देंगे। पहले चरण के मतदान ने सत्तारूढ़ दल को १० साल पुरानी जुमलेबाजी को खत्म करने के लोगों के संकल्प का एहसास करा दिया होगा। मोदी ने ‘कांग्रेस मुक्त’ भारत की लफ्फाजी की। लेकिन उसे खोखला साबित करने वाला मतदान पहले चरण में हो गया। देश के मतदाताओं ने ‘मोदीमुक्त भारत’ की दिशा में पहला मजबूत कदम बढ़ा दिया है। अगले छह कदम भी इसी दिशा में पड़ेंगे और देश को मोदीशाही के चक्र से मुक्ति मिल जाएगी!