मुख्यपृष्ठनए समाचारसंपादकीय :  लाडली बहन से किसान कर्जमाफी तक ...एक नंबर के झूठे!

संपादकीय :  लाडली बहन से किसान कर्जमाफी तक …एक नंबर के झूठे!

राज्य के मौजूदा हुक्मरानों की असलियत हर रोज सामने आ रही है। चाहे वह संतोष देशमुख हत्याकांड हो, राज्य में कानून व्यवस्था हो, लाडली बहन योजना हो या फिर किसान कर्जमाफी हो, हर मामले में राज्य सरकार की आए दिन पोल खुल रही है। संतोष देशमुख हत्या मामले में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं और गृह मामलों के प्रभारी मुख्यमंत्री एक ही राग अलाप रहे हैं कि ‘जांच चल रही है’ और ‘किसी को बख्शा नहीं जाएगा’। विधानसभा चुनाव से पहले ये सभी मंडलियां राज्य की सभी ‘लाडली बहनों’ के ‘लाडले भाई’ बन गए थे। इस योजना के चलते उन्होंने स्वयं ही खुद की पंचारती उतरवा ली थी। वह जोर-जोर से कह रहे थे कि विधानसभा चुनाव में मिली सफलता में इन लाडली बहनों का बड़ा योगदान है। लेकिन अब सत्तानशीन होते ही उनकी बोलती बंद हो गई है उन्होंने लाडली बहनों को मानकों के चौखट में बांधकर मानकों की छलनी में धकेलने का धंधा शुरू कर दिया है। कहा जा रहा है कि इस छलनी से करीब ५० लाख ‘लाडली’ बहनें ‘लाडली नहीं रहेंगी’। वे बहने जो मानकों के मापदंडों पर खरी नहीं उतरतीं उन्हें
अयोग्य घोषित करके
उनके खाते में जमा पैसा वापस सरकार के खाते में जमा कराने की ‘साहूकारी’ भी शुरू कर दी गई है। धुले जिले की एक लाडली बहन को सरकार की इस पलटीमार नीति का झटका लगा है। उन्हें मिले ७,५०० रुपए वापस सरकार के खाते में जमा करवा दिए गए हैं। विधानसभा चुनाव से पहले उमड़ा सत्तारूढ़ दल का ‘बंधुप्रेम’ सत्ता में आते ही फीका पड़ रहा है। इन मंडलियोंं ने किसानों की कर्जमाफी पर भी पलटीमार दी है। खुद राज्य के कृषि मंत्री ने यह घोषणा करके अपने हाथ खड़े कर दिए हैं कि किसानों को कर्जमाफी भूल जाना चाहिए, क्योंकि लाडली बहन योजना के चलते सरकार की तिजोरी पर ‘तनाव’ पड़ रहा है। विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने अपने घोषणापत्र में लाडली बहनों, आशा सेविकाओं से लेकर किसानों तक के नारों और वादों की बरसात की थी। घोषणापत्र में भाजपा ने दावा किया था कि किसानों का कर्जमाफ किया जाएगा मतलब कर्जमाफ किया ही जाएगा। अब तुम्हारे वे तेवर कहां गए? कृषि उपज को एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य से लेकर किसानों की आय दोगुनी करने तक, २०१४ के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कई वादे किए थे, लेकिन इस बाबत ११ साल पहले अपने
कानों पर रखे हाथ
मोदी सरकार ने अभी तक नहीं हटाए हैं। इन्हीं मांगों को लेकर पंजाब-हरियाणा सीमा पर कई दिनों से किसानों का आंदोलन चल रहा है, लेकिन मोदी सरकार ने इस पर ध्यान देने तक का शिष्टाचार नहीं दिखाया है। महाराष्ट्र में मोदी सरकार की ‘चेले-चपाटे’ सरकार ने राज्य के किसानों के मुंह का निवाला भी छीन लिया है। घोषणापत्र में कहते थे कि सत्ता में आने पर किसान का कर्ज माफ कर देंगे और आज सत्तानशीन होने पर अपने हाथ खड़े कर दिए। राज्य की वित्तीय स्थिति का अच्छा नहीं होना सरकार के तौर पर आपकी विफलता है। आप इसका ठीकरा लाडली बहनों पर क्यों फोड़ रहे हो ? ‘कैग’ ने जो आपको आड़े हाथों लिया है, वह आपकी आर्थिक नीतियों के मद्देनजर ही। तो लाडली बहनों के नाम पर गला फाड़ते हुए कर्जमाफी से इनकार करके किसानों का गला घोंटने का काम बंद करो! लाडली बहनों को नए मानकों का और किसानों को लाडली बहनों की योजना का हौवा दिखाना बंद करो! यह सच है कि आप जुमलेबाजी और ईवीएम घोटाले से सत्ता में आए, लेकिन लाडली बहन से लेकर किसान ऋणमाफी तक, आपकी सारी असलियत कुछ ही महीनों में सामने आ गई है। अब जनता समझ गई है कि आप एक नंबर के झूठे हो!

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