सत्ताधारी दल के बड़े नेता ने शिंदे सरकार द्वारा जोर-शोर से शुरू की गई ‘मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना’ का बैंड बजा दिया है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शिंदे सरकार के कथित ‘भाई-बहन’ प्रेम का पर्दाफाश कर दिया है। नागपुर में ‘एडवांटेज विदर्भ’ कार्यक्रम में बोलते हुए नितिन गडकरी ने लाडली बहन योजना को लेकर राज्य सरकार की वित्तीय स्थिति का वस्त्रहरण कर दिया। ‘राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई लाडली बहन योजना के लिए भी पैसों की जरूरत पड़ती है इसलिए, अनुदान राशि की कोई गारंटी नहीं है,’ गडकरी ने कहा। हालांकि उनका भाषण उद्यमियों और निवेशकों के लिए है, लेकिन उसकी ‘छाप’ सत्ता में ‘स्वयं-घोषित भाइयों’ की पीठ पर आ गई है। विधानसभा चुनाव को देखते हुए शिंदे सरकार ने मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना शुरू की। लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की जनता, माताओं-बहनों ने भाजपा समेत शिंदे और अजीत पवार के गुट को वाकई लतियाया है और महाविकास आघाडी की झोली में जमकर दान दिया। विधानसभा चुनाव में भी यही दोहराया जाने वाला है इसलिए भयभीत सत्तारूढ़ दल कई योजनाओं की घोषणा कर रहा है। ‘मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना’ उनमें से एक है। शासकों ने बड़ी शेखी बघारते हुए इस योजना को ‘भ्रातृ प्रेम’ का जामा पहनाया, लेकिन इसके पीछे छिपा मकसद वोटों के भंडारण का ही है। इसके अलावा सत्ता में मौजूद तीनों पार्टियों में पोस्टरबाजी प्रतियोगिता चल रही है। उसी प्रतियोगिता से एक ‘भाई’ की तस्वीरें दूसरे ‘भाई’ के पोस्टर से गायब की जा रही हैं। भाजपा के साथ-साथ शिंदे और अजीत पवार गुट यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि ‘मैं राज्य में लाडली बहनों का एकमात्र लाडला भाई हूं।’ ऊपरी तौर पर बोलते हुए यह कहना है कि निर्णय सरकार का है और उसका राजनीतिक लाभ अन्य दलों को न मिल पाए सिर्फ अपने ही दल को मिले इसलिए सारी खटपट की जा रही है। इसे वैâसा भाई प्रेम कहा जाए? ये तो दिखावा मात्र है। अब खुद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ही विपक्ष के इस आरोप पर मुहर लगा दी है कि लाडली बहन योजना वोट खरीदने हेतु निवेश है। उनके भाषण से इस आरोप को भी बल मिला है कि राज्य सरकार ने इस योजना के लिए अन्य योजनाओं और परियोजनाओं का पैसा घुमा दिया है। इसीलिए गडकरी ने उद्यमियों से कहा कि वे सब्सिडी को लेकर आश्वस्त न रहें। अनुदान तो दूर, विधानसभा चुनाव के बाद भी लाडली बहन योजना जारी रहेगी इसकी गारंटी कहां है? सत्ताधारी दल कुछ भी कहे, पड़ोस के मध्य प्रदेश की भाजपा की ही सरकार में इस योजना के बंद होने के संकेत मिल रहे हैं। कहा गया कि लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में भाजपा की सफलता में ‘लाडली बहना’ योजना ने बड़ी भूमिका निभाई। हालांकि, भाजपा सरकार के अपने वित्त मंत्रालय ने ‘जिन योजनाओं की उपयोगिता खत्म’ हो गई है, ऐसी योजनाओं की एक सूची तैयार की है और इसमें पहला नाम ‘लाडली बहना’ योजना का है। विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र में भी ऐसा ही होगा। मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना शासकों का ‘भ्रातृ प्रेम’ नहीं बल्कि वोट खरीदने के लिए दी जाने वाली ‘रिश्वत’ है और इसके चलते राज्य का वित्तीय अनुशासन इतना खराब हो गया है जितना पहले कभी नहीं हुआ था। इस पर सवाल उठाने वाले विपक्ष को सत्ता पक्ष ने ‘बहन विरोधी’ करार दिया। लेकिन अब उनके ही ‘ज्येष्ठ भ्राता’ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने लाडली बहन योजना को ‘आईना’ दिखा दिया है। इस योजना का राजनीतिक लाभ लेने की जुगत में लगे तीनों भाइयों को इसमें अपना थोबड़ा देखना चाहिए। भले ही लाडली बहन को लेकर सत्ताधारी खुलकर असत्य कथन कह रहे हैं लेकिन गडकरी ने ‘सत्य’ कथन कहा है। तो क्या अब आप भी उन्हें बहन विरोधी ठहराएंगे? ‘मुख्यमंत्री’ शब्द और अन्य दो भाइयों के नाम व फोटो हटाकर लाडली बहनों को पत्र आदि भेजने वाले देवा ‘भाऊ’ का गडकरी के इस ‘सत्य’ कथन पर क्या कहना है?