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संपादकीय :  हे भारतवासियों, केन्या से सीखो!

लोगों के मन में कोई संदेह नहीं है कि नरेंद्र मोदी गौतम अडानी के एजेंट हैं और अडानी जो संपत्ति अर्जित कर रहे हैं उसमें मोदी एक बड़े हिस्सेदार हैं। कुछ दिनों पहले यह खुलासा हुआ था कि अडानी ने नाइजीरिया के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया और उसके लिए वहां के राजनेताओं को बड़ी रकम रिश्वत में दी है। नाइजीरिया के लोग सड़कों पर अडानी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और ‘अडानी गो बैक’ के नारे लगा रहे हैं। इन प्रदर्शनकारियों के नेता के खिलाफ अगर भारतीय ईडी और सीबीआई कार्रवाई कर सकती तो जरूर करती। लेकिन सबसे बड़ा धमाका जो हुआ है वह केन्या के पूर्व प्रधानमंत्री रैला ओडिंगा ने किया है। केन्या की परियोजनाओं का काम अडानी को दिया जाए इसके लिए मोदी ने विशेष प्रयास किए और इसी वजह से केन्या में अडानी की एंट्री हुई। मोदी तब गुजरात के मुख्यमंत्री थे और एक मुलाकात के दौरान उन्होंने अडानी से उनकी खास मुलाकात करवाई थी। इतना ही नहीं, केन्या के पूर्व प्रधानमंत्री ने बताया कि मोदी ने केन्याई प्रतिनिधिमंडल को गुजरात में यह देखने के लिए आमंत्रित कर उनकी खूब आवभगत की थी कि अडानी कितने महान हैं। यह विषय मोदी और गौतम अडानी के बीच विशेष और नाजुक संबंधों पर रोशनी डालता है। श्रीलंका के पूर्व मंत्रियों ने घोषणा की कि मोदी श्रीलंका में ऊर्जा परियोजनाएं हासिल करने के लिए श्रीलंका सरकार पर दबाव डाल रहे थे। मोदी अपनी सत्ता का प्रयोग जनता के लिए नहीं, बल्कि अपने लाडले मित्र अडानीसेठ के लिए कर रहे हैं। मोदी ने हिंदुस्थान की सारी सरकारी संपत्ति अडानीसेठ को कौड़ियों के मोल दे दी। आज हवाई अड्डे, बंदरगाह, जमीनें, सार्वजनिक उपक्रम जैसी हर चीज अडानी की संपत्ति बन गई है और सातबारा में ये फेरबदल मोदी ने करवाए हैं। धारावी पुनर्विकास के नाम पर, मोदी ने मुंबई डेयरी फार्मों की जमीनें, बांद्रा रिक्लमेशन, सॉल्ट पैन की जमीनें अडानीसेठ को दे दीं। विदर्भ के स्कूल भी दिए गए। इसलिए भले ही मुंबई पर महाराष्ट्र का स्वामित्व हो, मालिकाना हक हो, लेकिन मोदी ने मालिक के हाथों भीख का कटोरा थमाकर अडानी को मुंबई का साहूकार या पठान बना दिया है। अडानीसेठ को अमीर बनाने वाले मोदी खुद को फकीर मानते हैं। वे कहते हैं कि हम गरीबी में पैदा हुए हैं, गरीबी में पले-बढ़े हैं। लेकिन यह फकीर सिर्फ अडानी को ही अमीरी के शिखर पर पहुंचा रहा है इसकी क्या वजह है? मोदी उपभोग शून्य हैं ऐसा उनके अंधभक्तों का मानना ​​है। फिर भी उनकी हालिया अमीरी ठाट देखने लायक है। मोदी अडानी को न केवल भारत में, बल्कि विश्व स्तर पर संपत्ति बढ़ाने में मदद करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। उस धन-संपत्ति का असली मालिक और कोई है क्या? क्या अडानी की संपत्ति किसी की बेनामी संपत्ति है? अगर ऐसा नहीं होता तो भारत तो भारत है, लेकिन प्रधानमंत्री विदेश जाकर अडानी के लिए इतनी खटपट नहीं करते। मोदी अपने कार्यों से दिखा रहे हैं कि अडानी की संपत्ति के असली मालिक वे ही हैं। मोदी की कोई पत्नी या बच्चे नहीं हैं। उन्होंने संसार और परिवार के सारे पाश तोड़ दिए; लेकिन वे अडानी के पाश में फंस गए। वे मोहमाया के एक अलग ही जाल में फंस गए। मोदी जहां भी जाते हैं अडानी उनके साथ होते हैं। व्यापारिक समझौते दो देशों के बीच किए जाते हैं। लेकिन अब मोदी की मेहरबानी से दूसरे देशों और अडानी के बीच होते हैं। यह क्या गड़बड़झाला है? मोदी की बदौलत अडानी का उद्योग केन्या, नाइजीरिया, बांग्लादेश, सिंगापुर, इजराइल, नेपाल, तंजानिया, वियतनाम, श्रीलंका समेत कई देशों में फला-फूला है। लेकिन उन सभी देशों में लोग मुनाफाखोर अडानी के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं और अडानी के साथ-साथ मोदी को भी बदनाम कर रहे हैं। क्या यह हमारे देश का अपमान नहीं है? अडानी को पाकिस्तान, बांग्लादेश में भी बड़ा निवेश करना चाहिए। मोदी के अडानी प्रेम के चलते ईडी और सीबीआई ने कई उद्योगपतियों को परेशान किया। जेल में डाल दिया, संपत्ति जब्त कर ली। इस परेशानी से तंग आकर १० हजार से ज्यादा छोटे उद्यमी देश से बोरिया-बिस्तर लपेटकर विदेश में निवेश कर रहे हैं। इनमें से कई उद्योगपतियों ने चीन का रास्ता चुना। इसमें नुकसान हुआ भारत को। अगर हमारे निवेशक भारत से ज्यादा चीन के करीब महसूस करते हैं तो यह मोदी की हार है। चेन्नई में निर्मला सीतारमण की बैठक में एक उद्योगपति ने जीएसटी पर सवाल उठाया तो उस उद्योगपति को अपमानित किया गया और कान पकड़कर माफी मंगवाई गई। ईमानदारी से व्यापार करने वालों के लिए भारत में अच्छा समय नहीं रहा है, लेकिन मोदी ने अडानी जैसों को देश और विदेश में लूटने का खुला लाइसेंस दे दिया है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि देश की जनता ठंडे बर्फ का गोला बनी पड़ी है। केन्या और नाइजीरिया जैसे छोटे देशों के लोग सड़कों पर उतर रहे हैं और रामायण के ‘जटायु’ की तरह लड़ रहे हैं। केन्या के पूर्व प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि मोदी ही अडानी साम्राज्य के असली सूत्रधार हैं। यह एक फकीर की दिलचस्प कहानी है। मोदी का झोला देश को बहुत महंगा पड़ा है। हे भारतवासियों, केन्या से कुछ सीखें!

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