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संपादकीय : यकीन करें भी तो कैसे?

भाजपा की ओर से एक रिपोर्ट जारी की गई है कि ‘फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स’ ने आतंकवादी संगठनों की फंडिंग और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए भारत द्वारा किए गए प्रयासों की वाह-वाही की है। इसका मतलब है कि ‘एफएटीएफ’ की रिपोर्ट कहती है कि भारत आतंकवाद और भ्रष्टाचार को रोकने में सफल रहा है। यह संस्था किस आधार पर यह सोचती है कि भारत में भ्रष्टाचार और आतंकवाद खत्म हो गया है? या फिर इस संस्था के दफ्तर में गुजराती व्यापार मंडल के लोग काम कर रहे हैं? यदि वास्तव में ऐसा होता तो हमें खुशी होती, लेकिन हालात ऐसे नहीं हैं। भाजपा के लोग ऐसा माहौल बनाने में सबसे आगे हैं कि हिंदू-मुसलमानों के बीच दंगे हों और आतंकवादी संगठन इसका फायदा उठाएं। सार्वजनिक रूप से मस्जिदों में घुसकर मुसलमानों को मारने की बात कहकर दहशत पैâलाने वाले लोग भाजपा के उच्च पदों पर बैठे हैं। खुद को हिंदू समाज का ‘गब्बर’ कहने वाले लफ्फाज धर्म के नाम पर दंगे कराते हैं और दंगा करानेवालों को आर्थिक मदद मुहैया कराते हैं, ये तस्वीर क्या कहती है? जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियां जारी हैं। वहां आतंकवाद रोकने में मोदी सरकार यदि सच में सफल हो जाती तो लाखों कश्मीरी पंडित घर लौट सकते थे। कश्मीरी पंडित अभी भी शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं, इसका मतलब है कि घाटी में आतंकवाद खत्म नहीं हुआ है। वहां सैन्य अड्डों के साथ सेना के वाहनों पर भी हमले जारी हैं और आए दिन हमारे जवान शहीद हो रहे हैं। वहीं, मणिपुर अभी भी जल रहा है। सैकड़ों की मौत हो गई वहां पर। महिलाओं के साथ अत्याचार किया गया। मणिपुर की हिंसा में बम और तोपों का इस्तेमाल हो रहा है और इस आतंकवाद को रोकने में मोदी की सरकार नाकामयाब रही है। ‘पुलवामा’ जैसे मामले हुए और जिन गाड़ियों से विस्फोटक पुलवामा पहुंचे, उनके तार गुजरात तक पहुंच गए। पुलवामा धमाके में ४० जवान शहीद हुए। क्या पुलवामा धमाके की आवाजें और चीखें एफएटीएफ के शोधकर्ताओं तक नहीं पहुंचीं? भारत में मुस्लिम समुदाय के प्रति नफरत पैâलाई जा रही है। गोमांस रखने के मामले में आतंकी गौरक्षकों ने अब तक मॉब लिंचिंग में १६ हत्याएं कर दी हैं, जिसमें एक हिंदू युवक भी शामिल है। इनमें से कितने आतंकवादियों को सजा हुई? गोरक्षा के नाम पर भीड़ सार्वजनिक स्थानों पर घूमती है और लोगों पर हमला करती है। उन्हें विशेष संगठनों से वित्तीय सहायता मिलती है। ‘एफएटीएफ’ रिपोर्ट में इसका साधारण संदर्भ तक नहीं है। इसीलिए सवाल उठता है कि क्या इस रिपोर्ट के लेखक गुजरात व्यापार मंडल के सदस्य हैं? यह हुई आतंकवाद की बात। ‘एफएटीएफ’ के लेखकों ने भारत में भ्रष्टाचार रोकने में मिली सफलता की ‘बात’ की है। भारत में भ्रष्टाचार पर लगाम कसा जा रहा है यह देखने के लिए उन्होंने किस चश्मे का इस्तेमाल किया? मोदी सरकार ने भारत में भ्रष्टाचार रोकने के लिए एक जानी-मानी युक्ति अपनाई है। वह यह कि उन्होंने सभी नामचीन भ्रष्टाचारियों को भाजपा में ले लिया और उन्हें मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री का पद दे दिया। जिसके चलते विपक्षी दलों में भ्रष्टाचार रुक गया और सत्ताधारियों का भ्रष्टाचार बढ़ गया। इनकम टैक्स, जीएसटी, ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों में आज सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार है। भाजपा ने भ्रष्टाचार को धोने के लिए एक वाशिंग मशीन बनाई है और भ्रष्टाचारियों को इस वाशिंग मशीन में डाल कर फिर उन्हें सत्ता और पार्टी में पद दे देते हैं। नई योजना ‘लाडला उद्योगपति’ भ्रष्टाचार का महामेरु ही है। मोदी द्वारा बनाए गए पुलों, सड़कों, संसद भवन, राम मंदिर पर हजारों करोड़ रुपये खर्च किये गए, लेकिन इन कामों में भ्रष्टाचार के कारण बरसात का पानी लीक होने लगा है या वे ढह गए। महाराष्ट्र में शिवराय की मूर्ति में भ्रष्टाचार के कारण मालवन के समुद्र तट पर मूर्ति ही ढह गई। एक ओर इस बात का ढोल पीटा जाता है कि मोदी सरकार भ्रष्टाचार रोकने में सफल रही और दूसरी तरफ मोदी भ्रष्टाचारियों को गोद में बैठाते हैं, यही समग्र राष्ट्रीय नीति है। झारखंड प्रचार रैली में मंच पर ‘महात्मा’ मधु कोंडा मोदी के साथ थे। यह इस बात का उदाहरण है कि भ्रष्टाचार रोकने का दावा करने वाले ही मधु कोंडा से लेकर तमाम भ्रष्टाचारियों को वैâसे अभय दे रहे हैं। फिर भी झूठी रिपोर्ट छापी गई कि भारत में भ्रष्टाचार और आतंकवाद खत्म हो गया है। ऐसी रिपोर्टस पर कौन यकीन करेगा?

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