मोदी सरकार का संविधान दिवस मनाना आश्चर्य की बात है। मोदी और उनके लोग देश में गांधी का सम्मान नहीं करते। उनके लोग यहां गांधी के हत्यारों की मूर्तियां लगवाते हैं, लेकिन मोदी जब विदेश दौरे पर जाते हैं तो वहां गांधी स्मारकों पर माथा टेकते हैं। इसलिए यह आश्चर्यजनक है, लेकिन चौंकाने वाला नहीं कि मोदी सरकार ने संविधान दिवस मनाया। ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ आदि नारों के साथ चुनाव लड़ने वालों का संविधान से क्या रिश्ता है? संविधान दिवस का सरकारी कार्यक्रम संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित किया गया। वहीं कांग्रेस ने दिल्ली में अपना संविधान दिवस कार्यक्रम मनाया। राहुल ने तंज कसते हुए कहा, ‘मोदी ने देश का संविधान नहीं पढ़ा!’ देश के मौजूदा हालात को देखते हुए इसमें कोई शक नहीं कि राहुल गांधी ने सच बोला है। जब से मोदी सत्ता में आए हैं, संविधान द्वारा अपेक्षित कानून का शासन यहां देखने को नहीं मिल रहा है। न्याय, समानता, बंधुत्व, धर्मनिरपेक्षता जैसे शब्द पूरी तरह से गायब हो गए हैं। जातिगत और धार्मिक संघर्ष जारी है और देश की संपत्ति एक ही उद्योगपति अडानी के कब्जे में चली गई है। भारत के संविधान में ये अपेक्षित नहीं था। अदालतें निष्पक्ष नहीं हैं और न्यायाधीश संवैधानिक मुद्दों पर न्याय से पलायन करते हैं। चुनाव आयोग, राजभवन मोदी के अंधभक्तों के अड्डे बन गए हैं। देश में चुनाव एक तमाशा बन गया है। वोट और मतदाता खरीदे जाते हैं या चुनावी व्यवस्था पर कब्जा करके जीत हासिल की जाती है। यह हमारे लोकतंत्र का मजाक है और जो लोग ऐसा करते हैं वे संसद में संविधान दिवस मनाते हैं। संविधान दिवस पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक मांग की, उन्होंने कहा, ‘हम ईवीएम से चुनाव नहीं चाहते, सभी चुनाव बैलेट पेपर पर कराएं।’ श्री खड़गे ने यह मांग महाराष्ट्र विधानसभा नतीजों के चलते की है। यह साफ हो चला है कि भाजपा गलत तरीके से जीती है, लेकिन मोदी उस पापपूर्ण जीत का जश्न मनाते हैं। गिने गए वोटों की संख्या महाराष्ट्र में हुए मतदान से करीब १० लाख ज्यादा है और ये संख्या और भी बढ़ सकती है। यह एक घोटाला है, लेकिन मोदी और उनके लोगों का इससे कोई लेना-देना नहीं है। विधायक, सांसद और चुनाव में वोट तक चुराने का मोदी सरकार का खेल चल रहा है। उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर दंगा भड़काया गया। वहां पुलिस फायरिंग में अब तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है। कुछ लोगों का दावा था कि जामा मस्जिद के नीचे एक मंदिर है और इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद के सर्वेक्षण की अनुमति दी थी। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ऐसी आग लगाकर गए और उसका परिणाम देश भुगत रहा है। चूंकि चंद्रचूड़ काल में यह निर्णय लिया गया था कि मस्जिद का सर्वेक्षण करने में कोई आपत्ति नहीं है, इसलिए भक्त उग्र हो गए और कुदाल और फावड़े से सभी मस्जिदों के तहखाने की खुदाई पर निकल पड़े हैं। ये वे बातें हैं जो देश को विघटन और अराजकता की ओर ले जाती हैं। संविधान ऐसी बातों की इजाजत नहीं देता, लेकिन मोदी ऐसा कर रहे हैं और फिर से संविधान दिवस मना रहे हैं। ये घटिया काम चुनाव जीतने के लिए चल रहे हैं। महाराष्ट्र में भाजपा ने विधायक खरीदकर संविधान विरोधी सरकार को बिठाया। राज्यपाल ने इसके लिए झूठ बोला। चुनाव आयोग, सुप्रीम कोर्ट ने संविधान से धोखाधड़ी कर सरकार की रक्षा की। तब इनमें से किसी को भी संविधान के मूल्यों की परवाह नहीं थी। वे लोकसभा चुनाव में ४०० सीटें जीतकर संविधान बदलना चाहते थे, लेकिन हम भारतीय समझदार हैं इसलिए मोदी के ये मंसूबे नाकाम हो गए, बावजूद मोदी और उनके लोग चुप नहीं बैठे हैं। स्वार्थ के लिए उनके छल और षड्यंत्र जारी हैं। क्योंकि मोदी और उनके लोगों ने भारतीय संविधान का एक भी पन्ना नहीं पढ़ा है। इसीलिए राहुल गांधी ने मोदी को बेनकाब किया है। मोदी संसद नहीं चलने देते। जब विपक्षी नेता अडानी के भ्रष्ट कारोबार पर बोलने के लिए खड़े होते हैं, तो उनके माइक बंद कर दिए जाते हैं। मोदी संसद और विधानसभा में विपक्षी दल नहीं चाहते। मूलत: वे लोकतंत्र और संवैधानिक शासन नहीं चाहते। वे ‘तोड़ो, फोड़ो, राज करो और देश को लूटने वालों का समर्थन करो’ की नीति लागू करना चाहते हैं। मणिपुर जल रहा है। महिलाओं को सड़कों पर नंगा किया जा रहा है। बलात्कार हो रहे हैं। उसे देखकर संविधान की प्रतियां आंसुओं से भीग गई होंगी, लेकिन मोदी-शाह संविधान की रक्षा नहीं करना चाहते और संविधान का सम्मान करते हुए देश चलाना नहीं चाहते। मोदी विपक्षी दलों के कब्जे वाले राज्यों को अल्लम-गल्लम मानते हैं। क्या यही संविधान की सीख है? समता, समान न्याय का सिद्धांत यहां खत्म हो गया है। हम करे सो कानून, इसका संविधान में कोई स्थान नहीं है। लोकतंत्र के चारों स्तंभों को गुलाम बनाकर अगर कोई संविधान महोत्सव का डंका बजाता है तो यह ढोंग है, पाखंड है। मोदी, संविधान पढ़िए और फिर बोलिए!