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संपादकीय : फ्रिडमैन की जगह रवीशकुमार होते तो!

देश में महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी और खुद दिए गए झूठे वादे जैसे ज्वलंत मुद्दे टालते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी पॉडकास्ट पर पाकिस्तान को कोसा है। गोदी मीडिया ने इसे ‘मोदी का पाकिस्तान पर प्रहार’ बताया है। मोदी ने इंटरव्यू देने के लिए अमेरिकी
पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन को चुना। अगर मोदी ने विदेशी पत्रकार को इंटरव्यू देने की बजाय भारत के रवीशकुमार, दीपक शर्मा, संजय राऊत, संजय शर्मा, साक्षी जोशी जैसे पत्रकारों को समय दिया होता, तो इंटरव्यू ज्यादा रोचक और विश्वसनीय होता। इन सभी को इंटरव्यू लेने का मौका मिलता तो मोदी के लिए मजबूती से झूठ बोलना और उससे बचने की कोशिश करना मुश्किल हो जाता। इन देशी पत्रकारों ने मोदी के झूठ को पकड़कर सवालों की बौछार कर दी होती। इसलिए मोदी और उनके मीडिया सलाहकारों ने लेक्स फ्रिडमैन को चुना। मोदी का इंटरव्यू लेने से पहले इस फ्रिडमैन को कोई जानता तक नहीं था। उस फ्रिडमैन से मोदी ने बात की और पाकिस्तान पर हमला बोला। मोदी का यह इंटरव्यू भविष्य को साधने वाला नहीं है। वे वर्तमान में तो दिखाई ही नहीं देते, बल्कि सौ साल पीछे जाकर भूतकाल के भूत नचाते दिखे। मोदी कहते हैं कि पाकिस्तान ने सिर्फ विश्वासघात ही किया है। पाकिस्तान के साथ शांति स्थापित करने की हमने हरसंभव कोशिश की। लेकिन पाकिस्तान से हमेशा दुश्मनी और विश्वासघात ही मिला। प्रधानमंत्री मोदी के लिए पाकिस्तान का मुद्दा राजनीतिक फायदे का है, इसलिए उन्होंने पाकिस्तान पर जमकर हमला बोला। जब मोदी राजनीति में नहीं थे, तब भारत और पाकिस्तान के बीच दो सीधे युद्ध हुए और इन दोनों युद्धों में भारत ने पाकिस्तान को धूल चटाई। १९७१ के युद्ध में बांग्लादेश बनाकर इंदिरा गांधी ने १९४७ के विभाजन का बदला लिया। यह वीरता का काम इंदिरा गांधी ने किया और इसका कृतज्ञतापूर्ण उल्लेख प्रधानमंत्री मोदी को करना चाहिए था। मोदी के कार्यकाल में ‘पुलवामा’ हुआ। आतंकवादियों ने करीब पचास भारतीय सैनिकों की हत्या की और उसके बदले में मोदी सरकार ने
‘सर्जिकल स्ट्राइक’ नाम का एक खेल
खेला। पाकिस्तान भले ही आतंकवादियों का आश्रयस्थान बना है, फिर भी इस समय वह एक कमजोर देश बन चुका है। इसलिए मोदी के लिए पाकिस्तान पर बोलना हमेशा आसान होता है। लेकिन हमारे ही पड़ोसी चीन ने अरुणाचल और लद्दाख की सीमा में घुसपैठ की है और भारतीय जमीन पर कब्जा कर लिया है। चीन ने भी हमारे साथ विश्वासघात किया है और यह एक तरह का आक्रमण ही है। तो क्या भारत चीन की इस घुसपैठ को लेकर भी सख्त जवाब देगा, यह मोदी ने इंटरव्यू लेनेवाले फ्रिडमैन को क्यों नहीं बताया? मोदी ने यह नहीं बताया या फिर फ्रिडमैन ने उप सवाल नहीं पूछा। अगर फ्रिडमैन की जगह कोई तटस्थ पत्रकार होता, तो वह चीन की घुसपैठ पर मोदी को बोलने के लिए जरूर पूछता। हाल ही में अमेरिका दौरे के दौरान आपके मित्र ट्रंप ने आपका अपमान क्यों किया? आप जैसे मित्र को उन्होंने अपने शपथ ग्रहण समारोह में क्यों नहीं आमंत्रित किया? बांग्लादेश में शांति स्थापित करने की जिम्मेदारी ट्रंप ने आप पर डाली, उसमें कितनी सफलता मिली? अमेरिका में अवैध भारतीयों को हथकड़ी लगाकर ‘गुलाम’ या ‘आतंकवादी’ की तरह सैन्य विमान से भारत भेजा गया। लेकिन नेपाल, ब्राजील जैसे देशों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया गया। क्या आपको इस पर अफसोस है? भारत में बढ़ती धार्मिक कट्टरता को आप कहां तक जाने देंगे? क्या आपकी राजनीतिक सफलता का यही रास्ता है? भारत में लोकतंत्र खतरे में है और ईवीएम तथा चुनाव आयोग घोटाला हैं। खुद राष्ट्रपति ट्रंप ने इस पर टिप्पणी की है। क्या इस घोटाले में आपकी पार्टी शामिल है? आपके कार्यकाल में सालाना दो करोड़ रोजगार देने का वादा किया गया था। पिछले दस साल में २० करोड़ बेरोजगारों को रोजगार देने का लक्ष्य पूरा हुआ क्या? अडानी आपके मित्र जरूर हैं, लेकिन केवल उस एक व्यक्ति के लिए पूरे देश को गुलाम बनाने का यह सिलसिला कब थमेगा? अडानी के खिलाफ अमेरिका ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। क्या आप उनके खिलाफ निर्णय लेंगे? हाल ही में हुए आपके अमेरिकी दौरे के समय अमेरिका में अडानी के खिलाफ चल रहे मामले में सौदेबाजी करने का आरोप आप पर लगा है। इस बारे में आपका क्या कहना है?
एलन मस्क की ‘स्टारलिंक’
कंपनी की सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा भारत में भी शुरू होने की राह पर है। लेकिन ‘स्टारलिंक’ का भारत में प्रवेश कई मायनों में चिंता बढ़ाने वाला हो सकता है। डेटा सुरक्षा और भारत के किसी आपातकालीन संकट में फंसने पर ‘स्टारलिंक’ कितना तटस्थ रहेगा, स्टारलिंक से देश की आंतरिक सुरक्षा को होनेवाला खतरा जैसे कई सवाल उठाए जा रहे हैं। इनके क्या जवाब आपके पास हैं? ये सवाल फ्रिडमैन के पॉडकास्ट कार्यक्रम में पूछे जाने चाहिए थे, लेकिन वे नहीं पूछे गए। दरअसल, मुश्किल पैदा करनेवाले किसी भी सवाल को न पूछने की शर्त पर ही फ्रिडमैन को प्रधानमंत्री का इंटरव्यू लेने दिया गया। मोदी ने शायद प्रधानमंत्री कार्यालय से फ्रिडमैन को वही प्रश्नावली भेजी, जो वे चाहते थे और उसी के अनुसार पॉडकास्ट का कार्यक्रम आयोजित हुआ। लोगों के मन में जो शंकाएं और सवाल हैं, उन पर न सवाल हैं और न जवाब। मोदी ने आरएसएस के बारे में एक बयान दिया। उन्होंने कहा कि आरएसएस ने उन्हें जीने का उद्देश्य दिया। आरएसएस ने उन्हें हर तरह के संस्कार दिए। देशभक्ति और जीवन के मूल्य सिखाए। प्रधानमंत्री ने आरएसएस के बारे में अपनी राय बिना किसी पर्दे के रखी, लेकिन सरसंघचालक मोहन भागवत ने भाजपा में देव और अवतारों पर जो टिप्पणी की, क्या वह आपको मंजूर है? हिंदू-मुस्लिम का डीएनए एक होने के सरसंघचालक के बयान आपको मान्य हैं क्या? इस पर फ्रिडमैन साहब मोदी से कुछ बुलवा नहीं पाए। मोदी के कार्यकाल में सरकार की आलोचना करना राजद्रोह माना जा रहा है और ऐसे कानून अब ‘बाजार’ में लाए जा रहे हैं। आलोचना करनेवालों को ‘ईडी’, ‘सीबीआई’ के डर से घुटने टेकने पर मजबूर किया गया और विरोधियों के कई विधायक, सांसद तोड़े गए। विपक्षी पार्टियों को तोड़ा गया। चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं का मोदी के कार्यकाल में कोई महत्व नहीं रह गया। फिर भी प्रधानमंत्री मोदी लेक्स फ्रिडमैन से कहते हैं, ‘आलोचना लोकतंत्र की आत्मा है इसलिए हम अपने ऊपर होनेवाली आलोचना का स्वागत करते हैं।’ तीन घंटे के पॉडकास्ट में फ्रिडमैन और मोदी ऐसी ही बातें करते रहे हैं। अगर फ्रिडमैन की जगह रवीशकुमार जैसे पत्रकार होते, तो इंटरव्यू में धमाका हुआ होता। लोगों को एक रोमांचक मुकाबला देखने को मिलता। मोदी यह मौका लोगों को क्यों नहीं देते?

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